हाइटेक में स्कोलियोसिस की जटिल सर्जरी, टेढ़ी रीढ़ के साथ चलना फिरना भी था मुश्किल
भिलाई। हाइटेक सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल में स्कोलियोसिस (पार्श्वकुब्जता) की जटिल सर्जरी की गई. इस रोग में रीढ़ की हड्डी कई जगह से मुड़-तुड़ जाती है जिसके कारण नसों पर दबाव पड़ता है और शरीर के संतुलन भी बिगड़ जाता है. इलाज में रीढ़ को सीधी करने के लिए सर्जिकल इंटरवेंशन की जरूरत पड़ती है ताकि नसों पर दबाव कम हो और चलने फिरने की दिक्कत भी कम हो जाए.
हाइटेक के नेक एंड स्पाइन सर्जन डॉ दीपक बंसल ने बताया कि 60 वर्षीय यह महिला रायपुर से यहां आई थी. महिला को स्कोलियोसिस के साथ ही कई अन्य प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं थीं. इसलिए उसका इलाज नहीं हो पा रहा था. किसी रिश्तेदार के कहने पर वह यहां पहुंची थी.
डॉ बंसल ने बताया कि महिला को सायटिका, रूमेटाइड आर्थ्राइटिस, हाइपर टेंशन, हाइपो थायराइडिज्म के साथ ही डायबिटीज की भी समस्या थी. लगातार दर्द निवारकों पर रहने के कारण उसकी समस्याएं बढ़ती चली जा रही थीं. जब महिला यहां आई तो वह घर के भीतर भी ज्यादा नहीं चल पा रही थी. एक जगह से दूसरी जगह जाते ही उसके पैरों में झिनझिनी आ जाती थी और उसे बैठना पड़ता था.
महिला की सभी जांचें करने के बाद उसकी सर्जरी प्लान की गई. रीढ़ को सीधा करना एक जटिल प्रक्रिया होती है. इसके लिए स्पाइनल फ़्यूज़न नामक सर्जरी की जाती है. इसमें, रीढ़ की हड्डी को सीधा करने के लिए धातु की छड़ें और हड्डी के ग्राफ़्ट का इस्तेमाल किया जाता है. रीढ़ की हड्डी को सही जगह पर रखने के लिए स्क्रू लगाए जाते हैं.
डॉ बंसल ने बताया कि सर्जरी के बाद महिला की रिकवरी अच्छी रही. उसकी सायटिका का दर्द भी जाता रहा. अब वह आराम से चल फिर पाती है. अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद जब वह नियमित जांच के लिए दोबारा अस्पताल आई तो वह काफी खुश थी. रीढ़ की ऐसी समस्याओं का अंतिम समाधान सर्जरी ही है. इसे जितना टालते जाएंगे समस्या बढ़ती जाएगी और क्वालिटी ऑफ लाइफ भी खराब होती चली जाएगी.