यही है भारत की असली ताकत
पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत के सब्र का बांध टूट चुका है. प्रधानमंत्री मोदी के सख्त रवैये के बाद पाकिस्तान में हड़कंप मचा हुआ है. आतंकियों को लांचिग पैड से हटाकर वापस बंकरों में भेजा जा रहा है. पाकिस्तान बार-बार युद्ध की संभावना जता रहा है. अर्थात परोक्ष रूप से वह स्वीकार कर रहा है कि आतंकवादियों को पालने-पोसने में पाकिस्तान की सरकार का नहीं तो न सही, सेना का हाथ जरूर है. इस बीच जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ने कहा कि इस घटना से वो बेहद शर्मिंदा हैं. एआईएमआईएम चीफ ओवैसी और महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने अपनी पॉलिटिक्स के उलट मुश्किल घड़ी में देश की एकता को मजबूत करके दुश्मन को कड़ा संदेश दिया है. ओवैसी ने कहा कि पाकिस्तान न केवल घड़ी के टाइम टेबल में आधे घंटे पीछे है बल्कि वह भारत से आधी सदी पीछे है. ओवैसी ने कहा – अटैक में शामिल रहे कुत्तों को सजा मिलनी चाहिए. जो लोग इनके आका हैं उन्हें सबक सिखाना चाहिए. आतंकी चाहते हैं कि हिंदू-मुस्लिम के बीच विवाद हो. आईएसआई और आईएसआईएस का मकसद एक है. लश्कर पाकिस्तान की नाजायज औलाद है. युद्ध का फैसला सरकार को करने देना चाहिए. शेष भारत के मुस्लिम नेता भी उनके साथ खड़े हो गए हैं. वहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे हमले के बाद तुरंत श्रीनगर पहुंचे और राज्य के फंसे हुए पर्यटकों को रेस्क्यू करने के साथ ही आतंकी हमले में मारे गए इकलौते मुस्लिम की बहादुरी को भी सलाम किया. शिंदे पहले ऐसे नेता हैं जिन्होंने आदिल हुसैन शाह के परिवार को आर्थिक मदद पहुंचाई. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि पड़ोसी अपनी हरकतों से बाज न आए तो अत्याचार करने वालों को सबक सिखाना हमारा धर्म है. राजा को अपनी प्रजा की रक्षा करनी चाहिए. वहीं कांग्रेस नेता शशी थरूर ने कहा कि पहले इस हमले का कड़ा जवाब दिया जाना चाहिए. हमले की जिम्मेदारी बाद में भी तय की जा सकती है. यही भारत की पहचान है और यही भारत की ताकत. वरना, धर्म पूछकर की गई हत्या ने कौमी एकता के बीच एक गहरी खाई खोद दी थी. आए दिन राजनीतिक और धार्मिक नेता मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ बयान दे रहे थे. कुछ विवादित बयानों को अगर छोड़ दें तो यही भारत का असली चेहरा है. यही उसका असल स्वरूप है. यही भारत की ताकत है. लोग आतंकवाद को मुसलमानों से जोड़ने की कितनी भी कोशिश करें, जब अवसर आता है तो प्रत्येग भारतीय नागरिक कंधे से कंधा मिलाकर सीना तान कर खड़ा हो जाता है. चाहे वह पहलगाम में अपनी जान गंवाने वाला मुसलमान हो या छत्तीसगढ़ के पर्यटकों की सुरक्षा करने वाला मुसलमान जब राष्ट्र और मानवता की बात आती है तो सब एक साथ खड़े होते हैं. समझना होगा कि यदि ऐसा न हुआ तो स्कूल, कालेज, अस्पताल, पुलिस, अदालतें और सेना तक विभाजित हो सकती है.