National Seminar on traditional treatment systems in Arjunda College

अर्जुन्दा महाविद्यालय में पारम्परिक चिकित्सा पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन

अर्जुन्दा. शहीद दुर्वासा निषाद शासकीय महाविद्यालय में 25 एवं 26 जुलाई को”ग्रामीण स्वास्थ्य देखभाल और पारंपरिक चिकित्सा” विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया. प्रथम दिवस के प्रथम सत्र का उद्‌घाटन मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती की पूजा अर्चना एवं राजगीत के साथ हुआ. कार्यक्रम की संयोजक डॉ. प्रीति ध्रुवे सहायक प्राध्यापक जन्तु विभाग ने कार्यक्रम की रूपरेखा के बारे में बताया.
पवन सिंह नागरे मेडिकल ऑफिसर आयुष विभाग ने ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था एवं दैनिक जीवन में आयुष का उपयोग सुबह सोकर उठना से लेकर रात्रि के सोते समय तक के बारे में बताया. स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाये जा रहे विभिन्न कार्यक्रम के बारे में जानकारी प्रदान किया. उन्होंने कहा कि “प्रकृति का पर्याय ही आयुष है”. उन्होंने बताया कि जीवनशैली में बदलाव के कारण ही हम विभिन्न प्रकार की बीमारियों के शिकार होते जा रहे हैं.
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. सोमाली गुप्ता ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्देश्य के बारे में बताया साथ ही कहा कि महाविद्यालय में समय – समय पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा. मुख्य वक्ता प्रो. अनिल कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि ” हर पौधे में औषधीय गुण पाया जाता हैं”. “विज्ञान और परंपरागत ज्ञान को साथ में लेकर चलना होगा”. उन्होंने आधुनिक विज्ञान पद्धति के बारे में बताया . पिछले 30 वर्षों में भारत ने योग थैरेपी के माध्यम से वैज्ञानिक युग में स्वयं को साबित किया है.
डॉ. संजय तिवारी कुलपति हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग ने कहा कि छात्र महत्वपूर्ण घटक होते हैं. देश की आत्मा गाँव में बसती है. “विश्व में आयुर्वेद अकेला ऐसा मेडिकल साइंस है जो धर्म से जुड़ा है.” आयुर्वेद 5000 वर्ष पुराना है, छात्रों तक यह बात जाना चाहिए. आयुर्वेद पर शोध की जरूरत है.”आयुर्वेद को जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए.” वक्ता डॉ. रितेश रांझा वैज्ञानिक मलेरिया रिसर्च सेंटर दिल्ली ने मलेरिया से संबंधित अपने कार्य का छत्तीसगढ़ के प्रयोजन में बताया. डॉ. नलिनी सिंह वैज्ञानिक बायोनाक्स प्राइवेट लिमिटेड भुवनेश्वर उड़ीसा ने बताया कि औषधीय पौधे किस प्रकार कैंसर रोग के लिए प्रभावशील है और कैसे कार्य करते है. डॉ. आराधना कंडे आयुष चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर ने ग्रामीण स्वास्थ्य और परंपरागत चिकित्सा के बारे में अपने कार्यों के बारे में बताया. प्रथम दिवस में चेयरपर्सन के रूप में दीपिका कंवर एवं डॉ. अल्का मिश्रा उपस्थित रहे.
द्वितीय दिवस में डॉ.समीर दशपुत्रे चेयरपर्सन के रूप में उपस्थित थे. मुख्य वक्ता डॉ.अलका मिश्रा दुर्ग ने आर्थराइटिस में औषधीय पौधे के महत्व के बारे में बताया. डॉ. निकिता वैज्ञानिक बिट्स पिलानी गोवा ने एंटीबायोफिल्म एजेंट के बारे में चर्चा की. डॉ. प्रमोद कुमार राजनांदगांव ने परंपरागत ज्ञान एवं टेसू फूल से दवाई बनाने की जानकारी दी. डॉ. दीपाली ने मशरूम उत्पादन एवं जीरो वेस्ट कृषि पद्धति पर कार्यों की जानकारी दी. विभिन्न महाविद्यालय के विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों द्वारा पोस्टर की प्रदर्शनी लगाई गई. बेस्ट पोस्टर प्रस्तुतीकरण हर्ष कुमार दिग्विजय महाविद्यालय राजनांदगांव एवं दामिनी साहू अर्जुन्दा महाविद्यालय की रही.
द्वितीय सत्र के चेयरपर्सन डॉ. प्रमोद कुमार रहे. इस सत्र में डॉ. अरुणा साव, डॉ. गुलाबचंद, सुरेश कुमार पटेल, निशा, किरण, डॉ.समीर, डॉ. रश्मि सिंह, प्रीति, चिरंजीव पांडे एवं किरण सिन्हा ने मौखिक प्रस्तुतिकरण दिया. उत्कृष्ट मौखिक प्रस्तुतिकरण का पुरस्कार डॉ. समीर दशपुत्रे को दिया गया. संयोजक डॉ. प्रीति ध्रुवे द्वारा आभार प्रदर्शन किया गया. गोवा, उड़ीसा, महाराष्ट्र, दिल्ली एवं छत्तीसगढ़ राज्यों के प्रतिभागी एवं शोधार्थी राष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल हुए.

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