बवासीर के धोखे में बिगड़ता गया कैंसर, निकालनी पड़ी पूरी आंत
भिलाई। कभी-कभी जरा से लापरवाही बहुत भारी पड़ जाती है. एक 35 वर्षीय युवक के मल में काफी समय से खून जा रहा था. उसे रक्त की भारी कमी भी हो गई थी. उसे कई बार रक्त चढ़ाया भी गया पर गहन जांच कभी नहीं की गई. उलटे बवासीर का इलाज चलता रहा. जब उसे हाइटेक हॉस्पिटल लाया गया, कैंसर बुरी तरह फैल चुका था.
हाइटेक सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल के लैप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ नवील शर्मा ने बताया कि हालांकि मरीज की सर्जरी कर दी गई है और उसकी अस्पताल से छुट्टी भी हो गई है पर ऐसी स्थिति के निर्मित होने से बचा जा सकता था. युवक को जब पहली बार मल में रक्त जाने की शिकायत हुई थी तभी उसकी नैदानिक जांच की जानी चाहिए थी. मल में ताजा रक्त देखकर यह अंदाजा लगा लेना कि यह बवासीर है, हमेशा सही नहीं होता.
डॉ शर्मा ने बताया कि लगातार हो रही ब्लीडिंग और कमजोरी के कारण उसने जब किसी अन्य चिकित्सक दो दिखाया तो उसकी सोनोग्राफी हुई. उसकी बड़ी आंत (डिसेन्डिंग कोलोन) में जख्म मिला. उसे हायर सेंटर रिफर कर दिया गया. जब वह हाईटेक आया तब जाकर उसकी पूरी विस्तार से जांच हुई. सीटी स्कैन से पता चला कि उसकी बड़ी आंत में दोनों तरफ अर्थात एसेंन्डिंग और डिसेंन्डिंग कोलोन (ascending & descending colon) का कैंसर था. साथ ही कैंसर लसिका ग्रंथियों (lymph nodes) तक फैला हुआ था.
डॉ नविल शर्मा ने बताया कि यह एक अत्यंत गंभीर स्थिति है क्योंकि बड़ी आंत के एक हिस्से के कैंसर को हटाने लिए आधी बड़ी आंत को निकालना होता है. इस तरह से रोगी की बड़ी आंत को पूरा निकालना होता है. सावधानी से कैंसर ग्रस्त बड़ी आंत एवं लसिका ग्रंथियों को निकाल दिया गया पर सिग्मोएड कोलोन (sigmoid colon) को बचा लिया गया ताकि मल त्याग का रास्ता बना रहे.
मरीज को एक सप्ताह में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है. पर अब उसके जीवन की गुणवत्ता कम हो गई है. यदि आरंभिक स्थिति में ही उसकी जांच किसी विशेषज्ञ ने की होती तो स्थिति इतनी नहीं बिगड़ती. इलाज के बाद जीवन की गुणवत्ता भी बेहतर होती. अतः मल में रक्त जाने के कारणों का ठीक ठीक पता लगाए बिना अंदाजे में इलाज कराना युवक को भारी पड़ गया.