Dog bites and snake bites figures are on the rise

गुस्ताखी माफ : 37 लाख को कुत्तों ने काटा, सर्पदंश के 28 लाख मामले

अपघात से विपत्ति, विकलांगता और मृत्यु का इससे ज्यादा भयावह नजारा और क्या होगा? शहरों में घूमने फिरने वाले आवारा कुत्तों के लिए जहां दयावान किस्म के गृहस्थ जिम्मेदार हैं वहीं भारत की आबादी का एक बड़ा हिस्सा आज भी वनग्रामों या वन से घिरे ग्रामों में रहती है. लिहाजा आवारा कुत्तों और विषैले सर्पों से इनका रोज का आमना-सामना होता है. साल 2024 में कुत्तों के काटने के कुल 37 लाख मामले दर्ज किये गये. 54 लोगों की मौत रेबीज से हो गई. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है. जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने छह साल की बच्ची छवि शर्मा की मौत की रिपोर्ट को सीजेआई के सम्मुख रखने के निर्देश दिये हैं ताकि उसपर आवश्यक दिशा निर्देश जारी किये जा सकें. छह साल की छवि शर्मा को 30 जून को आवारा कुत्ते ने काट लिया था. 26 जुलाई को उसकी मौत हो गई. कोर्ट ने कहा कि आवारा कुत्तों से सबसे ज्यादा खतरा बच्चों और बुजुर्गों को है. साल 2024 में 5 लाख 19 हजार 704 से ज्यादा पीड़ित 15 साल से कम उम्र के बच्चे थे. साल 2023 में डॉग बाइट के 30.5 लाख और 2022 में 21.9 लाख मामले सामने आए. दिल्ली में डॉग बाइट के मामलों में साल दर साल 143 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई. आवारा कुत्तों की समस्या मोहल्लों में अधिक होती है जहां लोग उन्हें भोजन उपलब्ध कराते हैं. एक बाबा को मानने वाले प्रतिदिन कुत्तों को बिस्किट-टोस्ट खिलाते हैं. उनका मानना है कि इनकी सेवा करने से बाबा प्रसन्न होते हैं. वो कहते हैं कि कुत्तों को हिंसक बनाने में भी इंसानों की ही बड़ी भूमिका होती है. कोई इनपर गाड़ी चढ़ा देता है तो कोई डंडे या पत्थरों से इनपर हमला करता है. इसके बाद कुत्ते गाड़ियों को दौड़ाने लगते हैं, छड़ी लेकर गुजरने वालों को काट लेते हैं. दूसरी त्रासदी सर्पदंश की है. भारत में प्रतिवर्ष सर्पदंश के 14 से 28 लाख मामले सामने आते हैं जिनमें से लगभग 58 हजार लोगों की मौत हो जाती है. ये मामले चूंकि स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं से दूर वनग्रामों या पिछड़े इलाकों में होते हैं इसलिए मौतों का आंकड़ा भी अधिक है. भारत में चिकित्सकीय दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण चार विषैले सांप हैं – भारतीय कोबरा, सामान्य क्रेट, रसेल वाइपर और सॉ-स्केल्ड वाइपर. जिस तरह लोग कुत्ता काटने पर टोटका करते हैं, ठीक उसी तरह लोग सर्पदंश के मामलों में भी टोटका करते हैं. सर्पदंश के मामले में टोटकों पर आस्था की दो बड़ी वजहें हैं. पहला तो यह कि अधिकांश मामले ऐसे क्षेत्रों से आते हैं जहां चिकित्सकीय सेवाएं न के बराबर हैं. दूसरा यह कि उन्होंने सांप काटने पर लोगों को झाड़-फूंक से ठीक होते देखा है. हालांकि इसकी वजह यह है कि अधिकांश सर्प विषहीन होते हैं. इसलिए जान वैसे ही बच जाती है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *