मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर साइंस कालेज में ‘प्रेमचंद की दुनिया’ का आयोजन
दुर्ग. शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय दुर्ग के हिंदी विभाग द्वारा प्रेमचंद जयंती पर ’प्रेमचंद की दुनिया’ पर व्याख्यान का आयोजन किया गया. मुख्य वक्ता प्रख्यात आलोचक डॉ. जय प्रकाश, कार्यक्रम के अध्यक्ष प्राचार्य डॉ. अजय कुमार सिंह थे.
स्वागत भाषण में हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अभिनेष सुराना ने कहा कि भारत के सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत में कुछ नाम ऐसे हैं जो केवल साहित्यकार नहीं बल्कि अपने समय के भी और हमारे समय के भी युगदृष्टा बनकर सामने आते हैं. ऐसे ही दो दिव्य नाम है गोस्वामी तुलसीदास और मुंशी प्रेमचंद. भारतीय जनमानस के दो ध्रुवों का संगम है. एक धार्मिक और आध्यात्मिक चेतना के प्रतिनिधि हैं तो दूसरा सामाजिक यथार्थ और मानवीय संवेदना के लेखक हैं.
प्रेमचंद पहले ऐसे लेखक हैं जिन्होंने साहित्य को समाज के हाशिए पर खड़े लोगों से जोड़ा. उन्होंने किसान, मजदूर, स्त्री, दलित, वृद्ध, सभी वर्गों की आवाज को अपने कथा साहित्य में स्थान दिया. कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. जयप्रकाश ने कहा कि प्रेमचंद कथाकार के साथ एक विचारक भी थे. उनकी कहानियों तथा उपन्यासों में अपने समय के समाज को बदलने की वैचारिक चेतना मौजूद है.
19 वीं शताब्दी में ऐसे महापुरुष हुए जो साहित्यकार, पत्रकार और बुद्धिजीवी थे. आधुनिक युग के जगमगाते नक्षत्र हैं प्रेमचंद, इनका साहित्य रूढ़ियों से लड़ने की शक्ति देता है. साहित्य के दो पुरोधा प्रेमचन्द और तुलसीदास की जयंती पर उनके व्यक्तित्व एवं साहित्य का विस्तार से वर्णन किया गया. उन्होंने कहा तुलसीदास भक्ति काल के साथ-साथ वर्तमान युग के भी कालजयी कवि हैं. तुलसीदास और प्रेमचंद भारतीय आत्मा हैं.
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अजय कुमार सिंह ने कहा कि प्रेमचंद की रचनाएं आज भी प्रासंगिक है. प्रेमचंद के कथा साहित्य में उनके युग परिवेश का वास्तविक चित्रण है. प्रेमचंद की रचनाओं के पात्र जीवंत हैं. प्रेमचंद जन-जन के जीवन में हैं.
कार्यक्रम में श्री ऋषि कुमार गजपाल, कथाकार, डॉ. अनिल पांडे, डॉ. राकेश रंजन, डॉ. ए. के. खान एवं हिंदी विभाग के अतिथि प्राध्यापक डॉ. रजनीश उमरे, डॉ. रमणी चंद्राकर, डॉ. शारदा सिंह, डॉ. लता गोस्वामी, एवं शोधार्थी बेलमती, लक्ष्मीन चौहान, निर्मला पटेल, संग्राम सिंह निराला, अतुल केशरवानी, टेकलाल, स्नातक एवं स्नातकोत्तर हिंदी साहित्य के विद्यार्थी सम्मिलित हुए. कार्यक्रम का संचालन डॉ. अम्बरीष त्रिपाठी एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. ओमकुमारी देवांगन ने किया.