Students of SSMV develop plant irrigation system

एसएसएमवी के के विद्यार्थियों ने बनाया ऑटोमैटिक प्लांट इरिगेशन सिस्टम

भिलाई. श्री शंकराचार्य महाविद्यालय, जुनवानी, भिलाई के बॉटनी विभाग के बी.एससी. फाइनल ईयर के विद्यार्थियों ने एक नवीनतम एवं पर्यावरण हितैषी ऑटोमैटिक प्लांट इरिगेशन सिस्टम का कार्यशील मॉडल तैयार किया. यह मॉडल पौधों की मिट्टी की नमी का पता लगाकर स्वतः ही पानी देने की प्रक्रिया को संचालित करता है, जिससे जल संरक्षण को बढ़ावा मिलता है और पौधों की देखरेख अधिक वैज्ञानिक ढंग से की जा सकती है.
इस मॉडल का निर्माण बॉटनी विभाग की विभागाध्यक्ष श्रीमती कांक्षीलता साहू के मार्गदर्शन में बी.एससी. अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों अनुराग, आरती, चेतना, खोंमांजलि, प्रवीन, शन्मुगम, उमा, प्रस्तुति एवं चित्राक्षी द्वारा सामूहिक रूप से किया गया. छात्रों ने तकनीकी ज्ञान और रचनात्मकता का समन्वय करते हुए इस परियोजना को सफलतापूर्वक तैयार किया, जो उनकी वैज्ञानिक सोच और टीमवर्क का उत्कृष्ट उदाहरण है.
प्राचार्य डॉ. अर्चना झा ने इस नवाचार की प्रशंसा करते हुए कहा, आज के युग में विज्ञान और पर्यावरण संरक्षण का संतुलन अत्यंत आवश्यक है. छात्रों द्वारा प्रस्तुत यह मॉडल न केवल जल संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह उनकी समस्या-समाधान क्षमता और नवाचार भावना को भी प्रकट करता है. यह कार्य निश्चित रूप से अन्य छात्रों के लिए प्रेरणास्रोत बनेगा.
डीन अकादमिक डॉ. जे. दुर्गा प्रसाद राव ने कहा, छात्रों द्वारा निर्मित यह मॉडल अकादमिक और व्यावहारिक ज्ञान का आदर्श संगम है. इस प्रकार की परियोजनाएं विद्यार्थियों को केवल विषयवस्तु तक सीमित नहीं रखतीं, बल्कि उन्हें समाज और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार बनाती हैं. महाविद्यालय ऐसे प्रयासों को सदैव प्रोत्साहित करता रहेगा.
अन्य विभागों के प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियों ने भी इस कार्य को अत्यंत सराहनीय और प्रेरणादायक बताते हुए इसे एक व्यवहारिक समाधान के रूप में मान्यता दी.
इस अवसर पर विभागाध्यक्ष श्रीमती कांक्षीलता साहू ने कहा, “यह मॉडल हमारे छात्रों की मेहनत, समर्पण और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रतीक है. ऐसे प्रोजेक्ट्स विद्यार्थियों को वास्तविक जीवन की समस्याओं को समझने और उनके समाधान खोजने की दिशा में सक्षम बनाते हैं.”
बॉटनी विभाग द्वारा किया गया यह नवाचार महाविद्यालय के अकादमिक वातावरण में रचनात्मकता और अनुसंधान भावना को बढ़ावा देने वाला साबित हुआ है.

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