डायबिटीज से जुड़ी भ्रांतियां भी पहुंचा सकती हैं सेहत को नुकसान
डायबिटीज आज एक बेहद आम स्वास्थ्य स्थिति है. जैसे जैसे जागरूकता बढ़ रही है लोग इसके बारे में खुलकर बातें भी कर रहे हैं. पर क्या आप जानते हैं कि इनमें से अधिकांश बातों में कोई दम नहीं होता? डायबिटीज से जुड़ी भ्रांतियां पीड़ित को कोई फायदा पहुंचाने की बजाय नुकसान ही ज्यादा करते हैं. डायबिटीज ज्यादातर क्रॉनिक होता है जिसे दवा व लाइफस्टाइल मोडिफिकेशन के साथ मैनेज किया जा सकता है.
भले ही शुगर को लोग अपना दुश्मन मानते हों, लेकिन डायबिटीज होने का यह प्रमुख कारण नहीं है. टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज होने के कारण बिल्कुल ही अलग होते हैं. जब शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा काफी बढ़ जाती है तो डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है. यह तब होता है जब पेनक्रियाज पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता या फिर आपका शरीर इंसुलिन के प्रभाव को लेकर प्रतिक्रिया नहीं दे पाता है.
टाइप 1 डायबिटीज जहां ऑटोइम्युन डिजीज है वहीं टाइप 2 डायबिटीज के पीछे कई कारण काम करते हैं. टाइप 1 डायबिटीज में जहां इंसुलिन थेरेपी जरूरी होता है वहीं टाइप 2 को लाइफ स्टाइल मॉडिफिकेशन से काबू में रखा जा सकता है. टाइप 2 डायबिटीज को लेकर लोगों में कई भ्रांतियां हैं जिन्हें दूर किया जाना जरूरी है –
पहली भ्रांति – शक्कर या मिठाई के अत्यधिक सेवन से डायबिटीज होता है. यदि आपके शरीर में पर्याप्त इंसुलिन बन रहा है और शरीर इसके प्रति सही प्रतिक्रिया भी कर रहा है तो शक्कर या मिठाई से आपको नुकसान नहीं होगा. पर यदि आप पहले ही मधुमेह की चपेट में हैं तो शक्कर और मिठाइयां आपके ब्लड शुगर लेवल को खतरनाक ढंग से बढ़ा सकती हैं. एक्स्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स में होने वाले एडेड शुगर, फैट और रिफाइंड शुगर का संबंध इंसुलिन रेजिस्टेंस से है.
मोटापा और बीएमआई (BMI)- बीएमआई मसल्स और फैट के बीच अंतर नहीं कर पाता. ना ही यह जेनेटिक्स, पर्यावरण, उम्र या तनाव की गणना कर सकता है. बीएमआई के आधार पर मोटे करार दिए गए लोग हेल्दी हो सकते हैं. वहीं सामान्य बीएमआई वालों को भी सेहत से जुड़े खतरे हो सकते हैं. बीएमआई से ज्यादा पेट के आस-पास जमा चर्बी डायबिटीज होने का सबसे बड़ा खतरा हो सकती है.
कार्बोहाइड्रेट से परहेज : सही गाइडेंस के साथ डायबिटीज मरीज भी कार्बोहाइड्रेट ले सकते हैं. फाइबर से भरपूर कार्बोहाइड्रेट जैसे फलियां, साबुत अनाज, फल और सब्जियां बेहतर विकल्प हो सकते हैं. ये धीरे-धीरे पचते हैं और ग्लाइसेमिक कंट्रोल बना रहता है. साथ ही जरूरी विटामिन्स और मिनरल्स भी मिलते हैं, जोकि डायबिटीज के नियंत्रण के लिए जरूरी होते हैं.
इंसुलिन मतलब है सबकुछ खत्म : इंसुलिन लेने का ये मतलब बिलकुल भी नहीं है कि जिंदगी खत्म हो गई, बल्कि यह जीवनरक्षक टूल की तरह है जोकि ब्लड शुगर के स्तर को संतुलित रखता है. टाइप 1 डायबिटीज में तो जीवन बचाने के लिए इंसुलिन सबसे अहम है. इंसुलिन लेने का मतलब है अपने शरीर को वो देना जिसकी उसे जरूरत है.
डायबिटीज रिवर्स हो सकता है
हालांकि अभी डायबिटीज का कोई प्रामाणिक इलाज नहीं, लेकिन इस दिशा में काम चल रहा है. वैसे दवाओं की मदद से ब्लड शुगर के लेवल को अच्छी तरह मैनेज किया जा सकता है. यदि वजन को सही रखा जाए और समय रहते इलाज शुरू कर दिया जाए तो टाइप 2 डायबिटीज को दूर किया जा सकता है. इसके लिए लगातार लाइफस्टाइल में बदलाव, डॉक्टरों से फॉलो-अप और परिवार के सपोर्ट की जरूरत होती है.
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है. यह दवा या इलाज का विकल्प नहीं है. ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें.
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