रिसर्च : रगों में दौड़ता माइक्रोप्लास्टिक भी करता है दिल पर हमला
दिल का दौरे के लिए अब तक कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर को ही जिम्मेदार माना जाता रहा है. इससे बचने के लिए खान-पान और जीवन शैली को ठीक करने की सलाह दी जाती है. पर क्या आप जानते हैं कि इन दोनों के साथ एक तीसरा भी कारक है जो चोरी छिपे आपकी रगों में बहता रहता है और दिल पर हमला करता रहता है? इस दिशा में चल रहे रिसर्च ने एक और खतरे की ओर इशारा किया है. शोध बताते हैं कि खून में जम रहे माइक्रोप्लास्टिक ने हार्ट डिजीज के खतरे को और भी ज्यादा बढ़ा दिया है.
हाई बैड कोलेस्ट्रॉल और हाई ब्लड प्रेशर लंबे समय से हार्ट डिजीज के प्रमुख कारक माने जाते रहे हैं, लेकिन अब कार्डियोलॉजिस्ट ब्लड फ्लो में छिपे हुए, एक ऐसे खतरे पर फोकस कर रहे हैं, जिस पर कोई ध्यान ही नहीं देता. यह है प्लासिट्क के महीन कण जो खून में घुलमिल जाते हैं. यह कोलेस्ट्रॉल या हाई बीपी की तरह किसी टेस्ट के जरिए पकड़ में नहीं आता. यह चुपचाप आपके शरीर में घर बनाता है और हृदय को नुकसान पहुंचा सकता है. ये उन लोगों के लिए और भी ज्यादा खतरनाक है, जो पहले से ही किसी हार्ट संबंधी रोग से जूझ रहे हैं.
शोध के नतीजे बताते हैं कि हार्ट डिजीज का यह रिस्क फैक्टर आर्टेरियल प्लाक के अंदर पाए जाने वाले माइक्रोस्कोपिक फॉरेन पार्टिकल्स से संबंधित है और ये पार्टिकल्स हृदय संबंधी घटनाओं की दर में वृद्धि से जुड़े हैं. न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि जिन रोगियों के आर्टेरियल प्लाक के नमूनों में ये कण मौजूद थे, उनमें ऐसे पार्टिकल्स से रहित रोगियों की तुलना में प्रेस्क्राइबड फॉलो-अप पीरियड के भीतर दिल का दौरा, स्ट्रोक या मृत्यु का जोखिम 4.5 गुना अधिक था. जांच के दौरान, यह पाया गया कि मानव एथेरोमा के अंदर और विशेष रूप से इम्यून सेल्स के अंदर, प्लास्टिक-आधारित टुकड़े मौजूद थे. इन टुकड़ों में मुख्य रूप से पॉलीइथाइलीन और पॉलीविनाइल क्लोराइड (PVC) जैसे पदार्थ शामिल थे.
एनबीटी में प्रकाशित खबर के अनुसार एक अध्ययन ने इसे साबित किया है, जिसमें हाई ग्रेड स्टेनोसिस (High-grade stenosis) के लिए सर्जरी के दौरान निकाली गई कैरोटिड आर्टेरियल प्लाक की इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी जांच की गई. जांच में शामिल 257 रोगियों के टीशू सैंपल में से आधे से अधिक में आर्टेरियल प्लाक के अंदर प्लास्टिक मटेरियल पाया गया. इन कणों की उपस्थिति हाई इंफ्लेमेटरी बायोमार्कर (High inflammatory biomarkers), ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस (Oxidative stress) के संकेतों और मैक्रोफेज सक्रियण (Macrophage activation) से जुड़ी हुई थी.
प्लाक में माइक्रोस्कोपिक फॉरेन पार्टिकल्स की उपस्थिति, पुरानी सूजन, एंडोथेलियल डैमेज (endothelial damage) और बढ़े हुए इम्यून रिस्पॉन्स के माध्यम से वैस्कूलर स्ट्रोक (vascular insult) की एक अतिरिक्त परत जोड़ती है. ये सभी एथेरोस्क्लेरोसिस को तेज करते हैं और दिल के दौरे व स्ट्रोक जैसी गंभीर घटनाओं की संभावना को बढ़ाते हैं.
इस जोखिम के कारण हाई रिस्क में कई तरह के लोग शामिल हैं. जैसे- पहले से मौजूद एथेरोस्क्लेरोसिस या आर्टेरियल प्लाक वाले लोगों में जोखिम ज्यादा बढ़ जाता है. वे लोग जो पर्यावरण, पानी, फूड पैकेजिंग या सांस के माध्यम से हाई लेवल के माइक्रोप्लास्टिक या नैनोप्लास्टिक के संपर्क में आते हैं. ऐसे लोगों को भी खतरा है, जिनमें वैस्कुलर इन्फ्लेमेशन, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस या इम्यून एक्टिवेशन का लेवल पहले से ही हाई होता है. साथ ही, वे मरीज जिन्हें पहले से ही हृदय संबंधी समस्याएं हैं.
खून में बढ़ रहे माइक्रोप्लास्टिक के खतरे को कम करने के लिए प्लास्टिक के संपर्क को कम करना, कोलेस्ट्रॉल, बीपी, डायबिटीज को मैनेज करने के साथ ही धूम्रपान को कम करना शामिल है. नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और वेट मैनेजमेंट बेहतर सेहत के लिए जरूरी है.
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है. यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प होने का दावा नहीं करता. ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें.
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