Protest against deforestation in Nashik for Singhasth Kumbh Sadhu Gram

विकास का कॉर्पोरेट मॉडल और पर्यावरण की सुरक्षा

नासिक में अक्टूबर 2026 में सिंहस्थ कुंभ का आयोजन होना है. प्राचीन काल में या यूं कहें कि सनातन में वन, सरोवर, नदियां सभी पूज्य थीं. ऋषि वनों में रहते थे और वहीं रहकर अपने शोध कार्य करते थे. शोध कार्यों को तब तपस्या कहा जाता था. पर आधुनिक भारत में सबकुछ कार्पोरेट है. वैसे भी पूजा पाठ और हवन से प्रत्यक्षतः कुछ होता हुआ दिखता तो है नहीं. बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. गंदगी फैलाते हैं और पुण्य कमाकर अपने-अपने रास्ते निकल जाते हैं. पर यही धार्मिक आयोजन पश्चिमी पर्यटकों को भी लुभाता है. यदि सही ढंग से तैयारी की जाए, सुख सुविधाओं का विस्तार किया जाए तो इन्हें बड़ी संख्या में लुभाया जा सकता है. ये आते हैं तो चार आने की चीज चालीस रुपए में बेची जा सकती है. देश की जय-जयकार होती है सो अलग. सिंहस्थ में भी इसी की तैयारी चल रही है. पर दिक्कत यह है कि वनों में कहीं भी उग आए पेड़ पौधे आधुनिक विकास के लिए मुसीबत खड़ी कर देते हैं. न तो यहां ढंग से सड़कें बनाई जा सकती हैं और न ही स्थायी-अस्थायी आवास बनाए जा सकते हैं. पर इस बार नासिक ने भी ठान लिया है कि वह कुंभ को विशाल बनाकर रहेगा. सिंहस्थ का आयोजन ऐसा होगा कि देखने वाले दांतों तले अंगुलियां चबा डालेंगे. इसके लिए यहां एक विशाल साधुग्राम बनाया जाना है. इसके लिए लगभग 1150 एकड़ वन क्षेत्र को साफ किया जाना है. नगर निगम ने लगभग 1,800 पेड़ों को काटने का नोटिस भी जारी किया था. साथ ही विभिन्न प्रजातियों के करीब 1700 पेड़ दोबारा लगाने के संबंध में नोटिस जारी कर आपत्तियां और सुझाव मांगे थे. इसकी अवधि 18 नवंबर को समाप्त हो गई. पर्यावरणविद इसका विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि कई पेड़ इतने पुराने, बड़े और फैले हुए हैं कि उन्हें प्राचीन वृक्ष के रूप में रजिस्टर्ड किया जा सकता है. ऐसे पेड़ों को काटना न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से बल्कि आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी गलत होगा. यह नासिक का हरित क्षेत्र है. इन पेड़ों को बिना काटे भी कुंभ की तैयारी की जा सकती है. मंत्री गिरीश महाजन कहते हैं कि नासिक में वृक्ष प्रेमियों की भूमिका सही है, इसमें कोई संदेह नहीं है. लेकिन, नासिक में 12 साल बाद कुंभ मेले का आयोजन हो रहा है. दुनिया का ध्यान इस कुंभ मेले पर है. इस बार भीड़ तीन-चार गुना ज़्यादा होगी. पंचवटी में यह जगह साधुग्राम के लिए आरक्षित है. यह सैकड़ों सालों से चली आ रही परंपरा है. यहाँ साधु रहते हैं. एक पेड़ के बदले हम 10 पेड़ लगाएंगे. हमने इसकी ज़िम्मेदारी ली है. ज्यादा से ज्यादा क्या होगा? रेगिस्तान बढ़ेंगे तो लोग ऊंट देखने आएंगे. चमचमाती सड़कों पर बड़ी-बड़ी एसयूवी में बैठकर आएंगे. एसी कॉटेज में रहेंगे. सरकार श्रद्धालुओं की गिनती करेगी. पौराणिक नासिक की भीड़ ऐतिहासिक हो जाएगी.

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