गेट पर ही जांच कर रिफर किए जा रहे मरीज

arun vora, govt ayurvedic hospital durg, motilal vora, congress, autoदुर्ग। कहने को तो यह अस्पताल इस वर्ष अपना सिल्वर जुबिली मना रहा है किन्तु आलम यह है कि यहां अब भी सिर्फ सर्दी, खांसी, बुखार का ही इलाज होता है। आटो या रिक्शा में डालकर लाए गए मरीजों को यहां गेट पर गाड़ी में ही जांच कर जिला अस्पताल रिफर कर दिया जाता है। मरीज को उतार कर अस्पताल में ले जाना या वापस आटो तक लाना भी मुश्किल है, यहां स्ट्रेचर जो नहीं हैं।
पटरीपार के लगभग 80 हजार आबादी की स्वास्थ्य सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए राज्यसभा सदस्य मोतीलाल वोरा की पहल पर कोई 25 साल पहले शुरु किया गया 30 बिस्तर शासकीय आयुर्वेद अस्पताल संधारण के अभाव में खंडहर में तब्दील हो गया है। लगभग 7 एकड़ जमीन पर निर्मित यह अस्पताल सफेद हाथी सिद्ध हो रहा है। चिकित्सकों और चिकित्सा कर्मियों का पर्याप्त स्टाफ है लेकिन यहां पर मरीजों का इलाज करना संभव नहीं है। मरीजों को पैथालाजी न होने का हवाला देकर दुर्ग जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। नतीजतन यहां इक्का-दुक्का मरीज ही पहुंचते हैं। पूरा स्टाफ मुफ्त का वेतन ले रहा है।
आटो में मरीज की जांच
arun vora, ayurvedic hospital durg, motilal voraविधायक अरुण वोरा, पार्षद एवं कांग्रेस के संभागीय प्रवक्ता देवकुमार जंघेल और नेता प्रतिपक्ष राजेश शर्मा जब निरीक्षण के लिये यहां पहुंचे तो वे हालात देखकर अवाक रह गए। विधायक के सामने ही आटो में सवार होकर एक मरीज वहां पहुंचा तो उसकी गेट पर ही जांच कर उसे दुर्ग जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। मरीज को लाने के लिए वहां स्ट्रेचर तक नहीं था। इस पर विधायक अरुण वोरा ने संबंधित अधिकारियों से अपनी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि वे इस मामले को विधानसभा में उठाएंगे।
यह है हाल अस्पताल का
अस्पताल का भवन भी जर्जर हो चला है। दरवाजे-खिड़कियां टूट-फूट गए हैं। अस्पताल का गेट और बाउन्ड्रीवाल भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं। जिसके कारण शाम ढलते ही यहां असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लग जाता है। जो शराब पीकर हुल्लड़बाजी करते रहते हैं। अस्पताल प्रांगण स्थित गार्डन भी तहस-नहस हो गया है। वहां जंगल-झाड़ी उग आई है। सड़क भी जर्जर हो चुकी है। अस्पताल में न तो साफ-सफाई की कोई व्यवस्था है न ही यहां पेयजल उपलब्ध हैं। अस्पताल में लगी सिनटेक्स टंकी की वर्षों से सफाई नहीं हो पाई है।

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