संतोष रूंगटा कैम्पस में क्रियेटीविटी एण्ड इनोवेशन इन इंजीनियरिंग एजुकेशन प्रोग्राम

रायपुर। इंजीनियरिंग फैकल्टीज़ को शिक्षण में सृजनात्मकता तथा नई पद्धति विकसित करने के मुद्देनजर रायपुर के नंदनवन के समीप स्थित संतोष रूंगटा कैम्पस के ऑडिटोरियम में एक इंटरेक्टिव प्रोग्राम का आयोजन किया गया जिसमें प्रमुख वक्ता के रूप में सीएसवीटीयू के फाउण्डर वाइस चांसलर तथा ओपीजेयू, रायगढ़ के चांसलर शिक्षाविद् डॉ. बी.के. स्थापक ने क्रियेटीविटी एण्ड इनोवेशन इन इंजीनियरिंग एजुकेशन विषय पर विभिन्न बिंदूओं पर प्रकाश डाला। रायपुर। इंजीनियरिंग फैकल्टीज़ को शिक्षण में सृजनात्मकता तथा नई पद्धति विकसित करने के मुद्देनजर रायपुर के नंदनवन के समीप स्थित संतोष रूंगटा कैम्पस के ऑडिटोरियम में एक इंटरेक्टिव प्रोग्राम का आयोजन किया गया जिसमें प्रमुख वक्ता के रूप में सीएसवीटीयू के फाउण्डर वाइस चांसलर तथा ओपीजेयू, रायगढ़ के चांसलर शिक्षाविद् डॉ. बी.के. स्थापक ने क्रियेटीविटी एण्ड इनोवेशन इन इंजीनियरिंग एजुकेशन विषय पर विभिन्न बिंदूओं पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के दौरान चेयरमेन संतोष रूंगटा सहित डायरेक्टर टेक्निकल डॉ. सौरभ रूंगटा, डायरेक्टर एफएण्डए डायरेक्टर डॉ. एस.एम. प्रसन्नकुमार, प्रिंसिपल-आरसीईटी, रायपुर डॉ. डी.एन. देवांगन, प्रिंसिपल-केडीआरसीएसटी, रायपुर डॉ. वाय.एम. गुप्ता समूह द्वारा रायपुर में संचालित रूंगटा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नालॉजी (आरसीइटी-रायपुर), रूंगटा इंजीनियरिंग कॉलेज (आरईसी-रायपुर) तथा के.डी. रूंगटा कॉलेज ऑफ साइंस एण्ड टेक्नालॉजी (केडीआरसीएसटी-रायपुर) के विभिन्न विभागों के डायरेक्टर्स, डीन, विभागाध्यक्ष तथा बड़ी संख्या में फैकल्टी मेम्बर्स उपस्थित थे।
टेक्निकल एजुकेशन के क्षेत्र के दीर्घानुभवी डॉ. बी.के. स्थापक ने आज की प्रमुख आवश्यकता पूरे शिक्षा पद्धति में बदलाव किये जाने की है। आज के इंजीनियरिंग सिलेबस को इंडस्ट्री प्रॉब्लम ओरियेंटेड बनाना चाहिये जिससे इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स अधिक से अधिक तकनीकी ज्ञान प्राप्त कर सकें। उन्होंने कहा कि सिलेबस टीचर्स पर केन्द्रित न होकर स्टूडेंट्स पर केन्द्रित होना चाहिये अर्थात पढ़ाने वाले की अपेक्षा पढऩे वाले के लिये भविष्य में किस प्रकार सिलेबस का ज्ञान उपयोगी होगा इसका विजन रखकर सिलेबस बनाया जाना चाहिये तथा उसी अनुरूप पढ़ाया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि कोई भी चीज इम्पॉसिबल नहीं है। उन्होंने उदाहरण के द्वारा रोचक तरीके से समझाया कि हर असंभव को संभव बनाया जा सकता है यदि सही तरीके से सोचा जाये और प्रयास किये जायें। डॉ. स्थापक ने एक नई थ्योरी थिंक आउट ऑफ द बॉक्स के माध्यम से सोच में सृजनात्मकता तथा नवीनता को आत्मसात करने को आज की प्रमुख आवश्यकता बताया। डॉ. स्थापक ने बताया कि आज की प्रमुख आवश्यकता स्टूडेंट्स में सोचने की क्षमता विकसित करने की है। एक ही प्रश्न को विभिन्न तरीकों या पद्धतियों से हल किया जा सकता है, इस बात को ध्यान में रखते हुए प्रयास किये जाने चाहिये। अपनी सोच को विस्तृत करें, अपने आसपास के वातावरण से समस्याओं के समाधान के विविध तरीकों पर विचार करें। स्टूडेंट्स में क्रियेटीविटी को बढ़ाएं। उनमें विभिन्न प्रकार से पढऩे के प्रति रूचि जागृत करें और ये केवल नवाचार तथा अभिनव प्रयोगों के माध्यम से ही संभव हो सकता है। स्टूडेंट्स में एक्सपीरीयंशल लर्निंग अर्थात स्व-अनुभव के आधार पर शिक्षण को बढ़ावा दिया जाना चाहिये। गौरतलब है कि डॉ. बी.के. स्थापक ने युवाओं को प्रेरित करने के उद्देश्य से ह्यूमन वैल्यू एण्ड लाइफ स्किल फॉर पर्सनालिटी डेवलपमेंट शीर्षक से एक किताब भी लिखी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *