गुस्ताखी माफ : सह अस्तित्व का सिद्धांत इसलिए जरूरी
कभी राजा अपने दलबल के साथ शिकार खेलने के लिए जंगल जाता था. अब भालू, हाथी, बाघ, तेंदुआ भोजन की तलाश में गांव आते हैं. हाथियों को गांव और खेत-खलिहान … Read More
कभी राजा अपने दलबल के साथ शिकार खेलने के लिए जंगल जाता था. अब भालू, हाथी, बाघ, तेंदुआ भोजन की तलाश में गांव आते हैं. हाथियों को गांव और खेत-खलिहान … Read More
ज्योतिष पीठ के प्रमुख शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा गौ-संरक्षण को लेकर किए जा रहे काम की सराहना की है. पर उन्हें इस बात का भी दुःख है … Read More
5 मई को प्रसिद्ध जर्मन दार्शनिक और समाजशास्त्री कार्ल मार्क्स का जन्मदिन था. मार्क्स को हम मार्क्सवादियों के कारण जानते हैं. ऐसा माना जाता है कि मार्क्स पूंजीवाद के खिलाफ … Read More
देश में अच्छी सड़कें मौत का कारण बन रही हैं. शायद हम इसके लायक ही नहीं हैं. सड़कें अच्छी होती हैं तो हम तूफानी रफ्तार पकड़ लेते हैं. गाड़ियों में … Read More
शराब को लेकर देश की संवेदनशीलता कुछ अजीब सी है. शराब बड़ी पार्टियों की शान है. वहां महंगी से महंगी विदेशी शराब परोसी जाती है. नेता, अभिनेता, बिजनेसमैन, डाक्टर, इंजीनियर, … Read More
भारत ही क्यों, किसी भी देश में एक दूसरे के धुर विरोधी दो वर्ग हमेशा रहे हैं. एक वह जिसके पास सबकुछ है और दूसरा वह जिसके पास अपने जीवन … Read More
आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालयों को आम आदमी पार्टी ने चुनौती दी है. ‘आप’ का आरोप है कि इन स्कूलों के आधे से ज्यादा बच्चे फेल हो रहे हैं. इसलिए छत्तीसगढ़ सरकार … Read More
चावल भारतीयों का मूल आहार रहा है. यह कम परिश्रम में तैयार होने वाला आहार है. धान से शुरू करें तो इससे पोहा, लाई, मुर्रा बनता है. चावल का भात, … Read More
संतानहीनता किसी भी दंपति के जीवन को सूना कर सकती है. पहले इसका कोई उपाय नहीं था. लोग संतान के लिए एक पत्नी को छोड़कर दूसरी ले आते थे, कोई-कोई … Read More
यौन संबंधों को लेकर भारतीय समाज कई भागों में बंटा हुआ है. यह एक आदिम जरूरत है. इसकी तलब का किसी स्थान की जलवायु के साथ ही मनुष्य की आनुवांशिकी … Read More
कभी-कभी नियम कानून भी जी का जंजाल बन जाते हैं. नियम कानून के चक्कर में पड़कर राजनांदगांव में शवों की मिट्टी खराब हो रही है. मेडिकल कालेज और जिला अस्पताल … Read More
लोकतंत्र में नेता को या तो फूल मालाएं मिलती हैं या फिर गालियां. जिसका जैसा कामकाज होगा, जनता उसे वैसा ही तोहफा देगी. पर जनता अपना फैसला मुंह पर बहुत … Read More