ममता चन्द्राकर 1974 से गा रही हैं “अरपा पैरी के धार”
खैरागढ़/भिलाई। छत्तीसगढ़ी लोकगीत की पर्याय बन चुकीं पद्मश्री डॉ मोक्षदा (ममता) चन्द्राकर ने “अरपा पैरी के धार, महानदी हे अपार” को पहली बार 14 मार्च 1974 को मंच पर प्रस्तुत … Read More
खैरागढ़/भिलाई। छत्तीसगढ़ी लोकगीत की पर्याय बन चुकीं पद्मश्री डॉ मोक्षदा (ममता) चन्द्राकर ने “अरपा पैरी के धार, महानदी हे अपार” को पहली बार 14 मार्च 1974 को मंच पर प्रस्तुत … Read More