रायपुर। विश्व प्रसिद्ध राम कथाकार, संत विजय कौशल महाराज ने कहा है कि अब वे अपने आध्यात्मिक दायित्वों के साथ-साथ अब जन समस्याओं के निराकरण में भी योगदान करेंगे। उन्होंने कहा कि जब संत ऐसा करेंगे तो उन्हें देखकर देश-विदेश में रह रहे उनके अनुयायी भी इसका अनुसरण करेंगे। उन्होंने मसन्द सेवाश्रम के पीठाधीश साईं जलकुमार मसन्द के इस मत से पूर्ण सहमति जताई कि केवल आध्यात्मिक लोक सेवकों का नेतृत्व ही भारत को पुन: विश्वगुरू एवं सामाजिक न्याययुक्त एक समर्थ राष्ट्र बनाने में सफल हो सकेगा। >>
संत विजय कौशल महाराज के साथ वृन्दावन से पधारे उनके सहयोगी पवन नन्दन तथा साईं मसन्द साहिब के सहयोगी संत भाई धनराज उदासी एवं भाई ज्ञानदेव उदासी इस अवसर पर उपस्थित रहे। साईं मसन्द इसी मकसद से दिसम्बर 2016 तक देश के करीब 150 प्रमुख सन्तों से भेंट करेंगे।
साईं मसन्द साहिब ने कहा कि हर साल विकास के बड़े-बड़े दावे करने के बावजूद दु:खद सच्चाई यही है कि देश की स्वतंत्रता के 68 वर्ष बीत जाने के बाद भी देश की आबादी का बड़ा हिस्सा मानवोचित भोजन, वस्त्र, आवास, चिकित्सा, शिक्षा, रक्षा, न्याय आदि मानवाधिकारों से वंचित है। भारत में अब भी प्रति वर्ष करीब दस लाख मासूम बच्चे आवश्यक आहार न मिल पाने के कारण कुपोषण से मर रहे हैं। हर साल देश में हजारों किसान व अन्य लोग आर्थिक मजबूरी के कारण आत्महत्याएं कर रहे हैं।
साईं मसन्द साहिब द्वारा रचित ‘भारत को चाहिए आध्यात्मिक शक्ति से जुड़े लोक सेवकों का नेतृत्वÓ आलेख का अध्ययन करने के पश्चात अब तक देश के 26 सन्त अपने लाखों अनुयायियों के साथ इस मुहिम में सक्रिय होने हेतु सहमत हो चुके हैं।