मॉस्को। पुराणों के मुताबिक गणेशजी को हाथी का सिर लगाया गया था। यह घटना हजारों साल बाद, अब दोबारा सच होने जा रही है। इटली के एक न्यूरोसर्जन ने एक व्यक्ति का सिर काटकर दूसरे के धड़Þ पर जोड़ने का दावा किया है। उनका कहना है कि यह तकनीक हमारे विज्ञान के पास मौजूद है। अगर डॉक्टर की यह बात सच हुई तो, रूसी नागरिक वलेरी स्पिरिदोनफ दुनिया के ऐसे पहले शख्स बन जाएंगे, जिनका सिर उनके शरीर से काटकर दूसरे आदमी के शरीर पर लगाया जाएगा। ब्रिटिश अखबार डेली मेल की वेबसाइट के मुताबिक, वलेरी को ऐसा दावा करने वाले इटली के न्यूरॉसर्जन सेर्जियो कनावेरो पर पूरा भरोसा है। रूस के व्लादीमिर नगर निवासी और 30 साल के वलेरी कंप्यूटर सांइटिस्ट हैं। उन्हें पैदा होने के समय से ही दुर्लभ आनुवांशिक बीमारी है। इसमें उनकी रीढ़ की हड्डी की मांसपेशियां पूरी तरह से बेकार हो गई हैं। वलेरी का कहना है कि वह मरने से पहले शरीर पाने की एक कोशिश करना चाहते हैं। read more
सेर्जियो कनावेरो ने उन्हें नया शरीर देने का प्रस्ताव रखा है। उन्होंने कहा कि इसके लिए उनका सिर उतारकर किसी दूसरे के शरीर में लगाना पड़ेगा। वलेरी के सिर के लिए ब्रेनडेड शख्स का शरीर लिया जाएगा। सेर्जियो ने 2016 में यह आॅपरेशन करने का दावा किया है। उनके आलोचक कह रहे हैं कि यह केवल फैंटसी है। उनकी तुलना फिक्शनल-हॉरर कैरक्टर डॉ. फ्रैंकन्सटीन से भी की जा रही है।
वलेरी ने कहा है कि उन्हें इस आॅपरेशन से पहले डर तो लग रहा है, लेकिन यह आॅपरेशन सिर्फ डरा ही नहीं रहा, बल्कि एक उत्सुकता भी पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘मेरे पास वैसे भी कोई विकल्प नहीं है। हर साल मेरी हालत खराब होती जा रही है और अगर आॅपरेशन सफल हो गया तो मेरा शरीर फिर से नया हो जाएगा।’ अभी तक डॉ. सेर्जियो और वलेरी की आपस में मुलाकात नहीं हुई है और उन्होंने इंटरनेट के जरिए ही आपस में बात की है। न ही डॉ. सेजिर्यो ने वलेरी की मेडिकल हिस्ट्री देखी है। डॉ. सेर्जियो ने इस आॅपरेशन को ‘हेवन’ का नाम दिया है।
ऐसे होगा आॅपरेशन
इस आॅपरेशन को अंजाम देने में 36 घंटे लगेंगे और इसका खर्च करीब 69 करोड़ रुपए आएगा। इस आॅपरेशन के लिए दोनों धड़ों को एक बेहद तेज ब्लेड से एकसाथ सफाई के साथ अलग किया जाएगा। इसके बाद डॉ. सेर्जियो के मुताबिक रीढ़ की हड्डी को एक ‘चमत्कारिक पदार्थ’ से चिपकाया जाएगा। सिर और शरीर की मांसपेशियों को आपस में सिला जाएगा और चार हफ्तों के लिए मरीज को कोमा में भेज दिया जाएगा। इस दौरान सिर और शरीर को बिल्कुल हिलने नहीं दिया जाएगा। मरीज के अपने चेहरे को महसूस करने और उसकी आवाज पहले की तरह होने पर उसे कोमा से जगाया जाएगा। मरीज का शरीर उसके सिर को अस्वीकार न कर दे, इसके लिए उसे काफी ताकतवर दवाइयां दी जाएंगी।
पहले भी हो चुकी है कोशिश
आपको बता दें कि वैज्ञानिकों ने 45 साल पहले एक बंदर का सिर दूसरे बंदर के धड़ पर लगाया गया था और हाल ही में चीन में एक चूहे के साथ ऐसा आॅपरेशन किया था। वह बंदर सर्जरी के आठ दिन बाद मर गया था, क्योंकि उसके नए शरीर ने सिर को स्वीकार नहीं किया था। बंदर खुद से सांस भी नहीं ले पा रहा था और उसकी रीढ़ की हड्डी ठीक से नहीं जुड़ सकी थी। हालांकि, डॉ. सेर्जियो का कहना है कि वह पुरानी बात थी और अब इस तरह की तकनीक उपलब्ध है।