चिकन खाने वालों पर दवाएं बेअसर

chicken ripping the immune systemनई दिल्ली। क्या चिकन खाने वालों पर दवाइयां बेअसर हो रही हैं। देश में किए गए शोध तो यही बताते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि अधिकांश चिकन में एंटीबायोटिक के ट्रेसेस पाए गए हैं। ऐसे चिकन का सेवन करने वालों पर बाद में एंटीबायोटिक्स काम नहीं करती। दिल्ली-एनसीआर में हुई एक स्टडी के मुताबिक, चूजों को एंटिबायॉटिक खिलाए जाते हैं ताकि उनका वजन ज्यादा हो और वे तेजी से बड़े हों। ऐसे चिकन खाने वालों में बीमारी के दौरान एंटिबायॉटिक्स दवाएं बेअसर हो सकती हैं। सेंटर फॉर साइंस ऐंड इन्वाइरनमेंट (सीएसई) ने स्टडी के लिए दिल्ली और एनसीआर के शहरों से चिकन के 70 सैंपल लिए। इनमें से 40 पर्सेंट में एंटिबायॉटिक्स पाया गया। 17 पर्सेंट सैंपल ऐसे थे, जिनमें एक से ज्यादा तरह के एंटिबायॉटिक्स मिले। read moreरिपोर्ट में कहा गया है कि पोल्ट्री इंडस्ट्री में सिप्रोफ्लोक्सेक्सिन जैसे एंटिबायॉटिक का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है ताकि जबकि यह इंसानों में बीमारियों का इलाज करने के काम आता है। लेकिन ऐसे चिकन खाकर लोगों में एंटिबायॉटिक्स के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ सकती है। ऐसा होने पर लोगों पर एंटिबायॉटिक दवाएं असर नहीं करेंगी और बीमारी जानलेवा भी हो सकती है।

सीएसई ने कहा है कि इंसानों के लिए इस जानलेवा समस्या के समाधान के लिए सरकार को जरूरी कदम उठाने होंगे। पोल्ट्री इंडस्ट्री में एंटीबायोटिक के इस्तेमाल पर बैन लगाने जैसे कदम उठाना बहुत जरूरी है।

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