आखिर कैसे इतने ताकतवर हो गए नक्सली?

naxalनई दिल्ली. नक्सलियों ने तीन दिनों के भीतर केवल चार वारदात ही नहीं की हैं, बल्कि अपनी ताकत भी दिखा दी है। सुकमा, दंतेवाड़ा और कांकेर में जिन जगहों पर हमले हुए हैं, अगर उनके बीच की दूरी नापी जाए तो 300 किलोमीटर से अधिक बैठती है। नक्सली हर बार पूरी ताकत से सामने आए, खूनी खेल खेला और जंगलों में गुम हो गए। एक के बाद एक लगातार घटी ये घटनाएं साबित करती हैं कि नक्सली इस रेंज में सुरक्षा बलों की उम्मीद से कहीं अधिक ताकतवर हैं। नक्सलियों की बढ़ती ताकत का कारण है, उनसे निबटने के लिए चलाए जाने वाले ऑपरेशन का अपने लक्ष्य से भटकना। छत्तीसगढ़ में नक्सल समस्या के समाधान में अहम भूमिका निभाने वाले केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के पूर्व महानिदेशक के मुताबिक ऐसे मामलों में आत्मविश्वास से भरपूर जवान और अधिकारी, पुख्ता खुफिया सूचना और रणनीति तीन अहम बिंदु होते हैं। केंद्र और राज्य के बीच इन तीनों बिंदुओं में कोई तारतम्य नहीं नजर आता।
जवानों और अधिकारियों का हौसला बढ़ाने के लिए शुरू किए गए प्रयास बीच में ही छोड़ दिए गए हैं। बीजापुर, जगदलपुर, कांकेर, दंतेवाड़ा, बस्तर समेत अन्य रिमोट एरिया में सुरक्षा बलों को कई परेशानियों से दो-चार होना पड़ रहा है। गंभीर होती नक्सली समस्या के पीछे एक कारण सरकारी इच्छाशक्ति की कमी भी है। राष्ट्रीय पुलिस अकादमी के पूर्व महानिदेशक कमल कुमार उदाहरण देकर कहते हैं कि आंध्र प्रदेश के नक्सलवाद से निबटने के तरीके की तारीफ तो सभी करते हैं लेकिन नक्सल प्रभावित कोई राज्य उसे अपनाता नहीं है। आंध्र प्रदेश ने नक्सल प्रभावित क्षेत्र में पुलिस के संरक्षण में विकास कार्य करके जनता का दिल जीतने की कोशिश की थी। साथ ही हथियारबंद नक्सलियों से सख्ती से निबटा गया था।
हालांकि गृह मंत्रालय के एक संयुक्त सचिव इन सब बातों को नकारते हैं। उनके मुताबिक पहली बार राज्य पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बल के तालमेल से नक्सलियों से निपटने की पहल हो रही है।मीडिया पिछले तीन दिनों में इसे तीन और चार नक्सल हमला बता रहा है जबकि नक्सलियों ने एक हमला शुक्रवार को किया था और एक सोमवार को किया है। पिछले साल की तुलना में नक्सल हमले की संख्या में काफी कमी आई है।

केंद्र और राज्य के पास नहीं है कोई रणनीति – प्रकाश सिंह
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों से निबटने के लिए केंद्र और राज्य सरकार के पास स्पष्ट रणनीति नहीं है। राज्य सरकार काफी शिथिल है। राज्य पुलिस और केंद्रीय अर्ध सैनिक बल में कोई तालमेल नहीं है।
आंध्र प्रदेश को देखिए, वहां मैंने नक्सलवाद से निबटने के तरीके को करीब से देखा है। तब आंध्र के नक्सल विरोधी दस्ते का सामना करने में नक्सली घबड़ाते थे। उनका खुफिया तंत्र इतना मजबूत था कि वह उड़ीसा, दिल्ली तक को सूचनाएं देते थे। इसकी तुलना में छत्तीसगढ़ सरकार कहीं नहीं ठहरती।
(प्रकाश सिंह बीएसएफ के पूर्व महानिदेशक हैं। उनकी आंध्र प्रदेश की नक्सल समस्या के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका रही है)

(अमर उजाला)

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