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रिसर्च से संभव होगा ‘मेक इन इंडिया’

भिलाई । संतोष रूंगटा समूह द्वारा कोहका, भिलाई में संचालित रूंगटा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नालॉजी (आरसीईटी) में शासन की टेक्विप फेज-टू योजना के अंतर्गत आयोजित तथा इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस आईईईई द्वारा टेक्निकली स्पॉन्सर्ड 2-दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस शास्त्रार्थ का समापन हो गया। कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन पहले सेशन में आईआईटी भुवनेश्वर के डिप्टी डायरेक्टर प्रो. गणपति पण्डा ने बायो-इन्स्पायर्ड टेक्निक्स: थ्योरी एण्ड एप्लीकेशन्स विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया वहीं दूसरे सेशन में थापर इंस्टीट्यूट, पटियाला से आये डॉ. दीपक गर्ग ने वेब इंटेलिजेंस पर अपना व्याख्यान दिया। उसके पश्चात इस 7-ट्रैक इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में इंजीनियरिंग की विभिन्न ब्रांचों कंप्यूटर साइंस तथा आईटी, ईटीएण्डटी, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, सिविल सहित बेसिक साइंस, मैनेजमेंट तथा ह्यूमनिटीज से संबंधित शोध पत्रों का प्रस्तुतीकरण हुआ। Read MoreRCET Bhilai, shastrarthaफ्रांस के सीआरएनएस लैब से आये प्रो. अलेक्जेण्डर डोल्गी ने बताया कि विश्व में सर्वाधिक शोध पत्रों के प्रकाशन के क्षेत्र में पहला स्थान यूएसए, दूसरा स्थान यूके तथा तीसरे स्थान पर भारत आ गया है। शोध कार्यों में भारत के युवा रूचि ले रहे हैं। रोजगार के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में संभावनायें हैं। एमआईआर लैब यूएसए से आये प्रो. अजीत अब्राहम ने कंप्यूटर साइंस तथा आईटी के क्षेत्र में हो रहे कार्यों का
उल्लेख करते हुए कहा कि इस क्षेत्र में क्रांति आ गई है तथा नित नये शोधकार्य हो रहे हैं। गुडंगांव के केआईआईटी कॉलेज ऑफ इंजी. से आये प्रो. एस.एस. अग्रवाल ने इंटरेक्टिव मैन मशीन कम्यूनिकेशन विषय पर अपना व्याख्यान दिया जिसमें उन्होंने यह बताया कि अब यह संभव हो गया है कि आप अपनी भाषा में मोबाइल पर बात करते रहें और विदेश में बैठा व्यक्ति अपनी भाषा में आपसे बात करता रहे। फोन पर चर्चा की जा रही दोनों भाषाओं का एक-दूसरे में अनुवाद कर उसे वाइस के रूप में प्रस्तुत करने का कार्य कम्प्यूटर करेगा। आईआईटी दिल्ली के प्रो. बी.के. पाणिग्रही ने बताया कि शोधार्थी को अपने डोमेन में सिद्ध होना चाहिये तभी और वह और आगे मल्टी-डिसिप्लीनरी लेवल पर रिसर्च कर सकता है। उदाहरण के लिये यदि हम एक कार डिजाईन करते हैं तो उसे पूर्णता प्रदान करने हेतु इंजीनियरिंग की मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स तथा कंप्यूटर इंजीनियरिंग की सभी विधाओं की जरूरत पड़ती है। वर्तमान में मेडिकल तथा रोबोटिक्स के क्षेत्र में अत्यधिक शोध कार्य हो रहे हैं।
आईआईटी खडग़पुर के प्रो. एम.के. तिवारी ने मेक इन इंडिया की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए कहा कि जिस तरह भारतीय हीरो कंपनी ने जापानी होण्डा कंपनी के साथा भारत में मोटरसाईकल बनाना प्रारंभ किया था, इससे उसे जापान की तकनीकी श्रेष्ठता का लाभ मिला और भारतीय इससे सीखते गये। इससे यह लाभ हुआ कि आज हीरो और होण्डा अलग होकर मोटर साइकल बना रहे हैं तथा एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि शोध कार्यों तथा तकनीकी का आदान-प्रदान आवश्यक है जिससे कि ग्रोथ में हम बराबरी कर सकें।
दो-दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस शास्त्रार्थ के समापन अवसर पर रूंगटा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स के चेयरमेन संतोष रूंगटा ने कहा कि यह कॉन्फ्रेंस राज्य में शोध क्षेत्र में हो रहे कार्यों के लिये एक उत्प्रेरक का कार्य करेगी तथा छत्तीसगढ़ के युवाओं को देश तथा विदेशों में हो रहे शोध कार्यों की जानकारी से एक नई दिशा मिलेगी। श्री रूंगटा ने कहा कि शोध हेतु उचित वातावरण उपलब्ध होने से हमारे समूह के कॉलेजों में शोध कार्य करने वालों की संख्या अन्य इंजीनियरिंग कॉलेजों की अपेक्षा ज्यादा है। इस संस्था से जुड़े स्टूडेंट यह भली-भांति जानते हैं कि शोध से न केवल आत्मसंतुष्टि और पहचान मिलती है बल्कि रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों को पैकेज भी औरों के मुकाबले ज्यादा मिलता है।
शोध कार्यों में आई जागरूकता हेतु शास्त्रार्थ जैसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर के आयोजन प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। मौके पर डायरेक्टर टेक्निकल डॉ. सौरभ रूंगटा, डायरेक्टर एफएण्डए सोनल रूंगटा, आईआईटीएम ग्वालियर के प्रो. अनुपम शुक्ला सहित रूंगटा समूह के समस्त कॉलेजों तथा विभागों के डायरेक्टर, प्रिंसिपल, डीन तथा विभागाध्यक्ष उपस्थित थे।
सैकड़ों शोधपत्र प्रस्तुत, 500 पेपर्स विदेश से
कार्यक्रम के संयोजक द्वय डॉ. सत्यप्रकाश दुबे तथा डॉ. मनीषा अग्रवाल ने बताया कि कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन देश के विभिन्न एनआईटी, यूनिवर्सिटीज तथा इंस्टीट्यूट्स से आये शोधकर्ताओं ने अपने शोध-पत्रों का प्रस्तुतीकरण किया जिनमें राज्य के बाहर से महाराष्ट्र के सिम्बोसिस-पुणे, उड़ीसा से जीईसी-भुवनेश्वर, झारखण्ड से एनआईटी -जमशेदपुर, गुजरात से जीईसी-भुज सहित राज्य से एनआईटी, रायपुर, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर तथा सेंट्रल यूनिवर्सिटी, बिलासपुर के प्रतिभागी प्रमुख थे। गौरतलब है कि शास्त्रार्थ में राज्य के विभिन्न शासकीय तथा निजी इंजीनियरिंग कॉलेेजों सहित देश के कोने-कोने तथा विदेशों से भी 500 शोध पत्र प्राप्त हुए। इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के दौरान वैश्विक स्तर पर हो रहे शोधकार्यों तथा इंजीनियरिंग की नवीनतम तकनीकों को जानने हेतु प्रतिभागियों में खासा उत्साह दिखा तथा विषय विशेषज्ञों से जानकारी प्राप्त करने हेतु युवाओं ने खासा रूझान दिखाया।

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