संस्कृत की सद्भावना संस्कृति सराहनीय – पं. हसन खान

muslim pandit hasan khanहम संस्कृतसेवी कृतज्ञ हैं मुस्लिम पण्डितों के – आचार्य डॉ. शर्मा
भिलाई। ‘संस्कृत, हिन्दी और फारसी के कवि और मशहूर नीतिकार अब्दुल रहीम जब संस्कृति, संस्कृत और हिन्दी के कवि लोकनायक तुलसीदास की कविता को अपनी कविता से पूरी करते हैं, तो आकार ले लेती है हमारी संस्कृति। आकाशवाणी के युवा उद्घोषक के रूप में अचानक मुझे जब श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धारावाहिक विवरणिका, रनिंग कमेण्ट्री की अहम जिम्मेदारी दी जाती है, तो जो ताकत इब्राहिम खान बनाम रसखान की ब्रजभूमि समाधि से मिलती है, तब बनती हमारी संस्कृति। यही तो विश्वप्रसिद्ध भारतीय संस्कृति है। सद्भाव और प्रेम की संस्कृति। संस्कृत साहित्य की उर्वर जमीन इसकी खान है।’  Read More
muslim pandit hassan khanये उद्गार हैं हिन्दी, संस्कृत, उर्दू और अंग्रेजी के विद्वान, आकाशवाणी, और ज्ञानवाणी (इग्नू) के पूर्व डायरेक्टर, हाजी पं. हसन खान के। वैशालीनगर महाविद्यालय में संस्कृत सप्ताह के समापन पर पं. खान ने संस्कृत के अनेक मंत्रों और श्लोकों के उदाहरण देते हुये संस्कृत को श्रेष्ठ संस्कारों की भाषा बताया। कालिदास की कालजयी कृति ‘मेघदूतम्’ के लिए राजस्थान शासन तथा शिक्षण के लिये छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सर्वोच्च राज्य अलंकरण से सम्मानित, भारतरत्न, महान वैज्ञानिक एवं दिवंगत राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के करकमलों से सम्मानित हाजी पं. हसन खान ने विद्यार्थियों को भरपूर आशीर्वाद दिया। उन्होंने संस्कारों के बल पर सर्वोच्च लक्ष्य प्राप्ति की अग्रिम शुभकामना भी दी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये संस्कृत विद्यामण्डलम् छ.ग. शासन के सदस्य आचार्य डॉ. महेशचन्द्र शर्मा ने कवि रहीम कृत श्रीकृष्ण संस्कृत वंदना से व्याख्यान का शुभारंभ किया। उन्होंने उपनिषदों के फारसी अनुवादक एवं पण्डित राज जगन्नाथ के शिष्य दाराशिकोह, पं. गुलाम दस्तग़ीर विराजदार, गीता के पद्यानुवादक अनवर जलालपुरी, गोल्डन गीताकार यूनुस शेख और धमतरी के राम कथाकार दाउद खान की संस्कृति सेवा की सराहना भी की।
आचार्य डॉ. शर्मा ने कहा कि संस्कृत की मुस्लिम पण्डित परम्परा के हम आभारी हैं। इस कर्ज को चुकाने के लिये संस्कृत सेवी जितना काम करें कम है। कु. पिंकी, कु. सीतेश्वरी और कु. सोनिया आदि संस्कृत छात्राआें ने संस्कृत कविता में इसकी महत्ता गाकर तथा कु. अंजलि मिश्र ने वाल्मीकि जी पर संस्कृत में आलेख पाठकर प्रबुद्ध श्रोताओं को प्रभावित किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ देवी सरस्वती की पूजा अर्चना से हुआ। मुख्य वक्ता पं. हसन खान का प्राचार्य डॉ. महेशचन्द्र शर्मा ने शॉल एवं श्रीफल से सम्मान किया। डॉ. श्रीमती कंचन सक्सेना ने संचालन तथा डॉ. सुबोध सिंह ने आभार व्यक्त किया। डॉ. श्रीमती रबिन्दर छाबड़ा, डॉ. श्रीमती किरण रामटेके, डॉ. श्रीमती स्मृति अग्रवाल, पं. भैयालाल दुबे, छात्रसंघ अध्यक्ष बृजेश प्रजापति, एवं सचिव सुशील दुबे, समेत बड़ी संख्या में प्रबुद्धवर्ग और विद्यार्थीगण उपस्थित होकर देर तक कार्यक्रम का लाभ उठाते रहें।

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