गर्भपात से जनसंख्या नियंत्रण का पाठ पढ़ा रही सरकार

abortionरायपुर। गर्भपात पर शोध कर चुकी डॉ. प्रीति सतपथी ने छत्तीसगढ़ के स्कूलों में 10वीं कक्षा की किताब में गर्भपात को जनसंख्या नियंत्रण का उपाय बताने वाली बात को अपराध करार दिया है। उन्होंने कहा कि गर्भपात को रोकने कई कानून बने हैं जिनमें दोषी पाये जाने पर सजा का प्रावधान है। ऐसे में सरकार जन संख्या रोकने के लिए गर्भपात को बढ़ावा देने वाली शिक्षा दे समझ से परे है। उन्होंने कहा, या तो इस पुस्तक को लिखने वाले लेखक या स्कूल शिक्षा से जुड़े उच्च अधिकारियों को मालूम नहीं कि गर्भपात कराना एक अपराध है जिसके लिये बकायदा कई कानून भी बनें है। उन्होंने बताया कि गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान-तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम 1994 (1994 का अधिनियम संख्या 57) पीसी पीएनडीटी एक्ट 1994 बनाया गया है। Read Moreइसके तहत गर्भपात कराया जाना अपराध है। इस तरह के अपराध बोध होने पर सजा का प्रावधान है। ऐसे में कक्षा दसवीं के सामाजिक विज्ञान की पुस्तक में गर्भपात की सुविधा उपलब्ध कराए जाने जैसी बातें विद्यार्थियों को पढ़ाया जाना उचित नहीं है। इसमें कहा गया है भारत में सुरक्षित गर्भपात के लिए आवश्यक अस्पताल और नर्सिंग होम की संख्या में वृद्धि की आवश्यकता है। इससे जन्मदर में कमी लाई जा सकती है। उन्होंने गर्भपात से जनसंख्या वृद्धि में कमी लाये जाने की शिक्षा देने को पूरी तरह से निरर्थक बताते हुए कहा कि प्रतिवर्ष भारत में तकरीबन सात करोड़ गर्भपात होते हैं जिसमें से लगभग छ: करोड़ अवैध होते हैं। डॉ. प्रीति ने कहा कि वे इसके खिलाफ सेंट्रल सुपरवाईजरी बोर्ड (सीएसबी) जो कि पीसी पीएनडीटी एक्ट पर नजर रखता है को पत्र लिखकर शिकायत करने जा रही है। उन्होंने मांग की है कि पुस्तक के लेखक प्रकाशक छत्तीसगढ पाठ्य पुस्तक निगम रायपुर एवं वितरण करने वाले व्यक्तियों की जिम्मेदारी तय कर दोषियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *