बैंकवाले ले जाएंगे एटीपी से कैश

banks to collect cash from atpभिलाई। बिजली कंपनी ने उपभोक्ताओं द्वारा जमा किए जाने वाले बिल की राशि को बैंक में जमा कराने को लेकर अब गंभीरता दिखाई है। बिजली कंपनी के कर्मचारी हर दिन होने वाले बिल कलेक्शन को जमा करने बैंक नहीं जाएंगे। बैंक खुद ही बिजली कंपनी के सभी एटीपी से हर दिन कैश कलेक्शन कराएगा। भिलाई-दुर्ग के सभी 11 वितरण केन्द्र से बिलिंग के दिनों में औसतन कुल एक करोड़ व हर माह 22 करोड़ रुपए की बैंकिग मेनुअली होती है। कंपनी ने यह व्यवस्था अगस्त माह में नेहरू नगर में दो बिजली कर्मचारियों के साथ हुई लूट की वारदात के बाद सुरक्षा लिहाज से लिया है। Read More
विदित हो कि बिजली कंपनी ने शहरी क्षेत्र में बिल कलेक्शन के लिए एटीपी बना रखे हैं। यहां हर दिन जो कलेक्शन आता है उसे बिजली कंपनी के कर्मचारी खुद जाकर बैंक में जमा कराते हैं। बीते अगस्त माह में कोहका वितरण केन्द्र के कर्मचारी दीनदयाल राय व भूनेन्द्र देवांगन के साथ लूट हो गई थी। नेहरू नगर एटीपी मशीन से 10 लाख 19 हजार 900 रुपए लेकर बैंकिंग के लिए जा रहे इन कर्मियों से केपीएस स्कूल के पास बाइक सवार दो युवकों ने कट्टे की नोक पर रुपए लूट लिया। इस घटना के बाद से बैंकिंग करने जाने वाले कर्मचारियों में दहशत बनी रहती है। इसे देखते हुए ही कंपनी ने सीधे बैंक द्वारा कैश कराने की व्यवस्था की है। इसके लिए कंपनी द्वारा भिलाई दुर्ग के लिए आईसीआईसी कंपनी से अनुबंध किया गया है।
बैंक द्वारा हर दिन कैश कलेक्शन वाहन वितरण केन्द्रों में भेजा जाएगा। एटीपी से निकली रकम को बिजली कंपनी के कर्मचारी कैश कलेक्शन टीम के हैंडओवर करेंगे। किसी तरह की अनियमितता रोकने बैग को सील करने के साथ ही कोड भी दिया जाएगा। कलेक्शन टीम द्वारा वितरण केन्द्र से बैंक के अधिकारियों को कलेक्शन की जानकारी दे दी जाएगी। सुरक्षा के लिहाज से कैश कलेक्शन टीम के सदस्यों की पहचान सहित अन्य जानकारी बिजली कंपनी को दी जा रही है। कैश हैंडओवर के बाद बिजली कंपनी की जिम्मेदारी खत्म हो जाएगी और रकम उनके खाते में जमा हो जाएगी।
भिलाई-दुर्ग शहरी क्षेत्र में 11 वितरण केन्द्र हैं। इसमें भिलाई में सुपेला, वैशाली नगर, रूआबांधा, कोहका, छावनी, भिलाई-3 व पावर हाउस में वितरण केन्द्र हैं। औसतन प्रत्येक वितरण केन्द्र से डेढ़ से ढाई करोड़ तक जमा होते हैं। इसी तरह दुर्ग में बोरसी, बघेरा, जवाहर नगर व दुर्ग टाउन वितरण केन्द्र हैं। इनमें भी औसतन डेढ़ से दो करोड़ रुपए प्रतिमाह उपभोक्ता जमा करते हैं। सभी 11 केन्द्रों में औसतन 22 करोड़ रुपए प्रतिमाह बिल जमा होता है।

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