नये वर्ष में नये संकल्प
वर्ष २०१५ बीत गया है। आगाज हुआ है वर्ष २०१६ का। जो बीत गया है, उसके साथ हमारी बहुत सारी स्मृतियां शेष हैं, कुछ खट्टी कुछ मीठी, कुछ पल हमें हंसा गये, कुछ पल हमें रुला गये, कुछ अपनों का साथ मिला, कुछ अपनों का साथ छूटा, कुछ सपने पूरे हुये, कुछ सपने अभी अधूरे हैं। जो कुछ अधूरा है उसे पूरा करने का अवसर दे रहा है, नया साल- २०१६। नया वर्ष हमें एक अवसर देता है कि हम अपने अधूरे सपनों को पूरा करने का फिर से प्रयास करें, कोशिश करें कि जो कुछ अधूरा छूट गया है, वह इस वर्ष पूरा करें। जो बीत गया है उसके लिए अगर हम सोचते रहेंगे तो बहुत कुछ पीछे छूट जायेगा इसलिये हमें इस नये पल को जी भर जीना है। नये साल के हर पल में अपने वादों को पूरा करना है, अपने इरादों को मजबूत करना है, संकल्प लेना हैं कि हम ऐसा काम करें कि दूसरों की दुआवों में शामिल हो, किसी मजबूर को उसका हक दिलायें, किसी रोते हुये चेहरे पर मुस्कान लायें। Read Moreइंसान को जाति या धर्म के नाम पर न बांटें, समाज व राष्ट्र के प्रति अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन ईमानदारी से करें, हमारे आस-पास कुछ गलत हो, तो उसका विरोध कर सकें। दूसरों के आरोप-प्रत्यारोप के बजाए हम आकलन करें कि हमने क्या किया है, हमें क्या करना हैं, जो अच्छा लग रहा उसकी प्रशंसा करें, हौसला अफजाई करें। अपने आस-पास के परिसर को साफ रखें और दूसरों को भी प्रेरित करें, घर में बच्चों को संस्कार दें कि बड़े-बुजुर्गों का सम्मान करें। जरुरी यह नहीं कि लोग ज्यादा हों, जरुरी यह है कि लोग भले कम हो, लेकिन हौसले बुलन्द हों, जिससे हम संगठित होकर २०१६ के लिए निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें। हमारी एक कोशिश शायद राष्ट्र निर्माण की ओर एक बड़ा कदम हो।
नया वर्ष आव्हान कर रहा है कुछ नया करने का तो आइये हम सब मिलकर कुछ ऐसा करें कि हम गर्व से कह सके हम पुरुष-नारी या जाति-धर्म से पहले इंसान हैं। हम सब संकल्प ले इस नये वर्ष को बेहतर बनाने का …
– डॉ हंसा शुक्ला
प्राचार्य, स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय, हुडको