सेनेटरी नैपकिन मशीन ने बदली जिंदगी
दुर्ग। सेनेटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन ने ग्रामीण इलाके की छात्राओं एवं शिक्षिकाओं का जीवन काफी बदल दिया है। कुछ मामलों में तो ये शहरी सुविधासम्पन्न लोगों से भी बेहतर है। इनके पास यूज्ड नैपकिन्स को नष्ट करने की मशीन भी है। जिले में एक लाख छात्राएं पहली से बारहवीं तक अध्ययनरत है, जबकि इनका ड्रॉप आउट कक्षा पहली से आठवीं तक 0.44 प्रतिशत तथा नवमी से बारहवीं तक 18 प्रतिशत है। समीक्षा से पता चला कि हाई एवं हायर सेकेण्डरी स्कूल की बालिकाएं संकोचवश सुविधा की कमी के कारण उन विशेष दिनों में विद्यालय नहीं आती अथवा पढ़ाई छोड़ देती है। Read Moreइस समस्या के निराकरण के उद्देश्य से हाईस्कूल में बालिकाओं के शौचालय में सेनेटरी नेपकिन हेतु वेंडर मशीन एवं उपयोग किए गए नेपकीन के डिस्पोजल हेतु इन्सिनरेटर लगाया जाए। वेंडिंग मशीन में एक रूपये का सिक्का डालने पर एक नेपकीन निकलता है। इसी तरह इन्सिनरेटर में नेपकीन को डालने पर वह चुटकी भर राख परिवर्तित हो जाता हैं। इस सुझाव को मानते हुए प्रयोग के तौर पर जे.के.लक्ष्मी सीमेंट फैक्टरी के सहयोग से धमधा विकासखण्ड के शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला सेमरिया के बालिका शौचालय में सेनेटरी नेपकीन वेंडिंग मशीन एवं इन्सिनरेटर लगाया। यह मशीन चेन्नई की कम्पनी वी.एन.वेन्चर द्वारा निर्मित है। यह व्यवस्था ना केवल बालिकाओं हेतु बल्कि महिला शिक्षकों के लिए भी सुविधा का माध्यम बना। यह पूरे राज्य में बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने एवं बालिका ड्रॉप रेट को कम करने की दिशा में नई पहल है। इसके लगने से छात्राएं खुश है और वे इसका उपयोग कर अपने गाव की महिलाओं को भी जागरूक कर रही हैं।