स्वरुपानंद के शिक्षा विभाग ने लगाया शिविर
भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय, हुडको द्वारा तीन दिवसीय सामुदायिक शिविर का आयोजन दुर्ग रायपुर नाका में स्थित श्रमिक बस्ती में किया गया। बी.एड प्रशिक्षार्थियों द्वारा श्रमिक बस्ती में विशाल जागरूकता रैली निकाली गई। जिसमें स्वास्थ्य, नशा उन्मूलन, बीमारियों की रोकथाम, स्वच्छता से संबंधित पोस्टर एवं बैनरों के साथ नारे लगाये गये व घर-घर जाकर बस्तीवासियों को साफ-सफाई स्वच्छता एवं स्वास्थ्य के बारे में जानकारियां प्रदान की गई। Read More
दूसरे दिन विद्यार्थियों ने श्रमिक बस्ती के महिलाओं एवं बच्चों को हस्तनिर्मित, रंगोली, लिफाफे बनाना, पेपर की चटाई बनाना, आईस्क्रीम स्टीक से वाल हेंगिंग, वेस्ट पेपर से लिफाफे, गुलाब के फूल एवं सजावटी वस्तुएं, पुरानी पत्रिकाओं से फ्लावर पॉट, दिए एवं मटके को सजाना आदि चीजें सिखाई गई। इन चीजों को घर में ही उपलब्ध सामग्री से ही बनाया जा सकता है व जिविकोपार्जन का साधन बनाया जा सकता है।
सामुदायिक क्रियाओं का तृतीय दिवस शासकीय प्राथमिक शाला में आयोजित किया गया जिसमें विद्यालय की प्रधान पाठक श्रीमती अनिता दास ने विशेष सहयोग दिया। स्कूल में विद्यार्थियों को ब्लैक बोर्ड सजाना, कोटेशन लिखना, पेपर से तितली, फूल एवं जहाज बनाना, वैसलीन बनाना आदि की कला सिखाई गई व विद्यार्थियों को शैक्षिक सामग्री भेंट स्वरूप प्रदान किया गया।
महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. (श्रीमती) हंसा शुक्ला ने कहा श्रमिक बस्ती में सामुदायिक शिविर आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य गरीब व नीचे तबके के लोगों के आर्थिक स्तर को जानना व मजदूर वर्ग के बच्चों में शिक्षा के स्तर को जानने का प्रयास करना है जिसमें शिक्षक प्रशिक्षार्थी इनकी समस्याओं से प्रत्यक्ष रूबरू हों व उनमें समस्या का व्यवहारिक हल ढूंढने की चेतना का विकास हो। प्रमुख उद्देश्य समस्याओं को जानने व समझने की है जिससे इनके आर्थिक व शैक्षिक स्तर को उठाने के लिए कल्याणकारी योजनायें बनायी जा सके।
विभागाध्यक्ष शिक्षा विभाग डॉ. (श्रीमती) पूनम निकुंभ ने शिक्षक प्रशिक्षार्थियों को सामुदायिक क्रियाओं में सक्रिय भाग लेने का आग्रह किया जिससे बस्ती के लोगों के जीवन स्तर में सुधार हो सके।
समग्र रूप से श्रमिक बस्ती की समस्याओं का अवलोकन करने से दिखाई पड़ रहा था यहां गंदगी बहुत है नालियां व्यवस्थित न होने से गलियों में पानी एकत्रित होता है जिससे बीमारियों के फैलने का खतरा बना रहता है। दिनरात जीतोड़ मेहनत करने के बाद भी इनके आर्थिक स्तर में कोई सुधार नहीं हुआ है बच्चों को स्कूल तो भेजते हैं पर शिक्षा का सही माहौल न होने से बच्चे कुछ समय बाद ही स्कूल जाना बंद कर देते हैं व बच्चे दिन भर मजदूरी व कचरा बीनने के कार्य में संलग्न रहते हैं। सरकार का पोषण आहार व मध्याह्न भोजन कार्यक्रम इन बच्चों को विद्यालय की ओर आकर्षित करते हैं इससे शिक्षा के साथ-साथ उनकों पोषण आहार भी मिलता है।
शिक्षक प्रशिक्षार्थियों ने संकल्प लिया वे शिक्षक बनने के बाद इन श्रमिक बस्तियों के लिए कार्य करेंगे। कार्यक्रम में महाविद्यालय के शिक्षा विभाग के समस्त प्राध्यापक/प्राध्यापिकाएं उपस्थित हुईं।