सच हुआ अहिल्या का अपने घर का सपना
दुर्ग। अपना घर अपना होता है, अपने घर होने से एक अलग ही सुखद अनुभूति होती है। हर व्यक्ति और परिवार विशेषकर घर की महिलाओं का सपना होता है कि उनका खुद का आशियाना हो और जिसमें वह अपने कुनबे के साथ हॅसी-खुशी रह सके। गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वाले लोगों के लिए अपने घर का सपना देखना भी एक बहुत बड़ी बात होती है। क्योंकि प्राय: इसे हकीकत में बदलने के लिए उसके उसके पास ना तो पैसा होते हैं और ना ही घर बनाने का कोई अन्य जरिया। ऐसे में गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वाले लोगों को पक्का छत मिल जाए तो खुशी का ठिकाना नहीं रहता।
गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वाली ऐसे ही महिला श्रीमती अहिल्या बाई का सपना इंदिरा आवास की स्वीकृति और पक्का मकान बन जाने से पूरा हुआ है। विकासखण्ड दुर्ग के ग्राम भेड़सर की महिला श्रीमती अहिल्या बाई पति श्री मन्नू देशमुख के पास खुद की जमीन तो थी लेकिन मकान नहीं था। ग्राम पंचायत के सरपंच ने उन्हें बताया कि बीपीएल परिवार के आवासहीन लोगों की सूची वर्ष 2002 के सर्वेक्षण के अनुसार बनाई गई है। ऑन-लाईन पंजीयन और बैंक में खाता खोलकर आवेदन किए जाने पर अहिल्या बाई का चयन योजना के अंतर्गत किया गया और उसे 70 हजार रूपए की राशि स्वीकृत की गई। अहिल्या और उसके परिवार ने इस राशि में अपनी राशि जोड़कर इस मकान को पक्का और व्यवस्थित बनाया। मकान बन जाने पर उसे शौचालय बनाने के लिए 10 हजार रूपए की राशि भी दी गई। अब अहिल्या अपने घर में अपने परिवारों के साथ खुशी से रहती है और वह चैन की नींद रात भर सो पाती है। उन्होंने बताया कि गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वाले सैकड़ों लोगों के लिए इंदिरा आवास योजना बहुत बड़ी राहत भरी योजना है। इंदिरा आवास स्वीकृति के लिए वह शासन के प्रति आभार व्यक्त करती है।