विद्यार्थी ही शिक्षक का वास्तविक मूल्यांकनकर्ता

साइंस कालेज दुर्ग का आयुक्त उच्चशिक्षा द्वारा आकस्मिक निरीक्षण
Prof-NP-Dixit-Durgदुर्ग। विद्यार्थी ही शिक्षक का वास्तविक मूल्यांकनकर्ता होता है। प्रत्येक शिक्षक को कमजोर विद्यार्थियों के स्तर को ऊंचा बनाने हेतु प्रतिदिन प्रयास करना चाहिए। शिक्षकों का यह प्रयास किसी विद्यार्थी की जिंदगी बदल सकता है। ये उद्गार छत्तीसगढ़ शासन के उच्चशिक्षा, आयुक्त श्री देवसेनापति ने शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय में व्यक्त किये। श्री देवसेनापति महाविद्यालय के आकस्मिक निरीक्षण के दौरान उपस्थित प्राध्यापकों को संबोधित कर रहे थे। दुर्ग विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एन.पी. दीक्षित भी इस अवसर पर उपस्थित थे। आयुक्त श्री देवसेनापति ने गतवर्ष के परीक्षा परिणामों की समीक्षा करते हुए स्नातक स्तर के प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों की असफलता का कारण जानना चाहा तथा संबंधित विभागों के शिक्षकों को विद्यार्थियों की असफलता को सफलता में परिवर्तित करने हेतु वर्तमान शिक्षण सत्र में सार्थक प्रयास जैसे- विशेष कक्षाऐं, नोट्स उपलब्ध कराना, व्यक्तित्व विकास एवं मानसिक रूप से प्रोत्साहन प्रदान करने के निर्देश दिए।
महाविद्यालय लैग्वेंज लैब के निरीक्षण के दौरान आयुक्त श्री देवसेनापति ने उपस्थिति विद्यार्थियों से भाषा के संप्रेषण संबंधी कठिनाईयों की जानकारी प्राप्त की। अपने निरीक्षण के दौरान आयुक्त ने महाविद्यालय के विभिन्न स्नातकोत्तर विभागों- रसायन, बायोटेक्नालॉजी, प्राणीशास्त्र, अंग्रेजी आदि विभागों में उपलब्ध प्रयोगशालाओं, शोध उपकरणों, व्याख्यान कक्षों का अवलोकन किया तथा उपस्थित शोध छात्र-छात्राओं, स्नातकोत्तर एवं स्नातक स्तर के विद्यार्थियों के भविष्य के लक्ष्य के विषय में सीधा-संवाद किया। महाविद्यालय गं्रथालय के निरीक्षण के दौरान विद्यार्थियों हेतु उपलब्ध सुविधाओं की पूर्ण जानकारी भी श्री देवसेनापति ने प्राप्त की। श्री देवसेनापति समाजशास्त्र एवं रसायन शास्त्र विभाग के स्नातकोत्तर विद्यार्थियों द्वारा पावर प्वाइंट की सहायता से दिए जा रहे सेमीनार प्रेजेंटेशन में भी बैठे तथा उपस्थित विद्यार्थियों से सीधे बातचीत कर उन्हें कड़ी मेहनत एवं अच्छे परीक्षा परिणाम लाने हेतु प्रेरित किया।
श्री देवसेनापति ने महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एस.के. राजपूत को निर्देश दिया कि विद्यार्थियों को यूजीसी नेट परीक्षा एवं अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित कोचिंग की सुविधा उपलब्ध करायी जायें। प्राचार्य डॉ. एस.के. राजपूत ने आयुक्त को यह जानकारी दी गयी कि वर्तमान में यूजीसी से प्राप्त राशि से विभिन्न विषयों में विषय-विशेषज्ञों के अनेक आमंत्रित व्याख्यान आयोजित कराये गये है। इसका सीधा लाभ विद्यार्थियों को विषय के ज्ञान में वृध्दि के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं में भी मिलेगा। महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. राजेन्द्र चौबे ने जानकारी दी कि महाविद्यालय के प्राध्यापकों द्वारा गठित स्वयंसेवी संगठन जन उन्नयन के अंतर्गत लगभग 50 प्राध्यापक अपनी सैलरी में से प्रतिमाह 500 रू. की राशि एकत्रित करते है तथा इस राशि का प्रयोग आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप देने एवं प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु विशेष कोचिंग आयोजित करने हेतु किया जाता है।
आयुक्त ने रसायन शास्त्र एवं बायोटेक्नोलॉजी विभाग में चल रहे शोधकार्यों की सराहना करते हुए इसे समाज के हित में और अधिक उपयोगी बनाने पर बल दिया। आयुक्त महोदय ने पृथक-पृथक मुलाकात में महाविद्यालय छात्रसंघ के पदाधिकारी अध्यक्ष दुष्यंत साहू एवं सचिव कु. अमृता रॉय से उनके सुझाव मांगे।
छात्रसंघ अध्यक्ष ने आयुक्त से स्नातकोत्तर कक्षाओं में पुनर्मूल्यांकन एवं पुनर्गणना की सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की। प्रवीण्य सूची में स्थान प्राप्त विद्यार्थियों एवं राष्ट्रीय स्तर के अवार्ड प्राप्त शोधार्थियों से चर्चा के दौरान आयुक्त महोदय से मांग की गयी कि शोध छात्र-छात्राओं को विदेश में शोध कार्य हेतु जाने के लिए शासन द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान की जावें।
विद्यार्थियों ने बायोटेक्नालॉजी विषय को लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में सम्मिलित किए जाने की भी मांग की। महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापकों के प्रतिनिधि मंडल ने आयुक्त श्री देवसेनापति से प्राध्यापक पद पर प्रमोशन संबंधी मुद्दे पर विचार-विमर्श किया। प्रतिनिधि मंडल ने प्रमोशन से वंचित सहायक प्राध्यापकों को प्राध्यापक पद पर शीघ्र पदोन्नत किये जाने का आयुक्त से आग्रह किया। आयुक्त श्री देवसेनापति ने प्राध्यापकों को आश्वासन दिया कि प्रमोशन संबंधी मुद्दा उनके संज्ञान में है तथा इस पर नियमानुसार कार्यवाही की जावेगी।
प्रतिनिधि मंडल ने डॉ. वेदवती मंडावी, डॉ. सपना शर्मा, डॉ. लक्ष्मी धु्रव, डॉ. के.पद्मावती एवं डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव शामिल थे।
दुर्ग विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एन.पी. दीक्षित ने तामस्कर महाविद्यालय की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए आधुनिक शोध उपकरणों के संचालन एवं रख-रखाव हेतु महाविद्यालय में डिमॉन्सट्रेटर का पद सृजन किए जाने की सलाह दी। आयुक्त द्वारा महाविद्यालय के निरीक्षण के दौरान उप संचालक, उच्चशिक्षा एन.एस.सूर्यनारायण एवं श्री यादव भी उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *