भारतीय संविधान में पंचभूतों की चिंता
छत्तीसगढ़ के चीफ जस्टिस राधाकृष्णन के उद्गार
बिलासपुर। भारतीय संविधान में पंचभूतों की चिंता की गई है। भारत का संविधान केवल मनुष्य के लिए नहीं है बल्कि पृथ्वी में स्थित वनस्पति, जीव, वायु, जल व खनिज के लिए भी है जो कि हमें न्याय प्रदान करने उत्साहित करते हैं। संविधान में दिए गए अधिकार के तहत भारतवासी गुणात्मक व मात्रात्मक न्याय प्राप्त करने के हकदार हैं। लिहाजा किसी को भी न्याय पाने से वंचित नहीं किया जा सकता है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के नवनियुक्त चीफ जस्टिस टीबी राधाकृष्णन ने उक्त बातें सोमवार सुबह कोर्ट के हाल नंबर 1 में आयोजित ओवेशन में कहीं। उन्होंने कहा कि मुझे छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। शुरुआती दौर में कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। संस्थान के सभी लोगों के सहयोग से इसे दूर करने में सफलता मिलेगी। भारत में न्याय में विलंब हमेशा से चर्चा का विषय रहा है। इसके बावजूद गुणात्मक व मात्रात्मक न्याय प्रदान किया जा रहा है।भारतवासी न्यायिक संस्थानों से न्याय प्राप्त करने के हकदार हैं। प्रभावी न्याय वितरण प्रणाली से व्यक्तिगत, सामुदायिक भाव से समय पर गुणात्मक न्याय प्रदान किया जाता है। उन्होंने कहा कि कभी भी किसी को भी न्याय प्राप्त करने से वंचित नहीं किया जा सकता है। न्याय के गुणात्मक घटक को त्याग कर न्याय प्राप्त नहीं किया जा सकता है। भारत का संविधान केवल मनुष्य के लिए नहीं बल्कि सभी तत्वों के लिए काम करता है जो पृथ्वी के इस हिस्से में है जिसमें वनस्पति, जीव, वायु, जल खनिज समेत अन्य संपदा शामिल हैं।
ये हमें न्याय प्रदान करने में प्रोत्साहित करते हैं। ओवेशन के प्रारंभ में रजिस्ट्रार जनरल ने उनके सीजे नियुक्त होने के संबंध में जारी वारंट का पठन किया। इसके बाद महाधिवक्ता जेके गिल्डा, छत्तीसगढ़ राज्य विधिज्ञ परिषद के अध्यक्ष प्रितंकर दिवाकर, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सीके केशरवानी, असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल ने भी सीजे के संबंध में जानकारी दी।
युवा पीढ़ी से काफी उम्मीदें : चीफ जस्टिस को युवा पीढ़ी से बहुत उम्मीदें हैं। इनके कार्य से एक स्तंभ बनने की संभावना है। जिनके पास भारत की यह महान भूमि है। युवाओं से इस राज्य के लोगों को सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक उत्थान के लिए नेतृत्व मिलेगा। भारत के संविधान के तहत हम एक सार्वभौमिक, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रित गणराज्य के रूप में एकजुट हैं। उन्होंने अपने दादा, माता-पिता, स्वयं व आने वाली पीढ़ी को भी बार का हिस्सा होना बताया है।