Heart attack, अस्पतालों को गाइडलाइन
नई दिल्ली। बदलती लाइफस्टाइल, खानपान और एक्सरसाइज की कमी हम भारतीयों के दिलों पर भारी पड़ रही है। इसी का नतीजा है कि भारत, दिल के रोगों की राजधानी बन गया है। यहां हर साल करीब 20 लाख लोगों को Heart attack का सामना करना पड़ रहा है। इनमें से करीब 6 लाख लोगों की मौत हो जाती है। बहुत से लोगों को दवाओं और पेसमेकर के जरिए जिंदगी गुजारनी पड़ती है।इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च अब दिल के रोगों के मरीजों की मदद के लिए आगे आया है। आईसीएमआर ने हार्ट अटैक की हालत में मरीज को अस्पताल पहुंचने तक जरूरी चिकित्सा सहायता देने के मकसद से हार्ट अटैक ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल जारी किया है। देश के सभी राज्यों से इस पर अमल करने को कहा गया है।
ऐम्बुलेंस का मजबूत नेटवर्क जरूरी
प्रोटोकॉल के मुताबिक, देश के हर राज्य में सभी जरूरी सुविधाओं से युक्त ऐम्बुलेंस का मजबूत नेटवर्क होना चाहिए। इनमें ईसीजी मशीन के साथ ही इसकी रीडिंग को वायरलेस मोबाइल डिवाइस से एक्सचेंज करने की सुविधा होनी चाहिए। अगर दिल के दौरे के शिकार किसी मरीज को ऐंजियोग्राफी और ऐंजियोप्लास्टी की सुविधा वाले अस्पताल में ले जाया जाता है तो इस दौरान अस्पताल को उसका ईसीजी भेजा जा सकता है। इस ईसीजी को देखकर कार्डियोलॉजिस्ट्स ऐम्बुलेंस में तैनात डॉक्टर या स्टाफ को बता सकते हैं कि मरीज को प्राथमिक तौर पर क्या ट्रीटमेंट दिया जाना है।