घने जंगल में पत्रकारों के सामने आ गया शेर

जंगल सफारी (नया रायपुर)। घने जंगल में पत्रकारों के सामने आ गया शेर। पर डरने की कोई बात नहीं थी क्योंकि पत्रकार स्वयं पिंजरे में सुरक्षित थे। शेर अकेला नहीं था। शेरनी उसके साथ थी। पहले वे दूर-दूर अलग अलग पेड़ों की छांव में सुस्ता रहे थे। जैसे ही पत्रकारों से भरी पिंजरे वाली बस उनके करीब पहुंची, वे उठकर एक साथ आ खड़े हुए और फिर प्रेम का प्रदर्शन करते हुए पत्रकारों की तरफ से मुंह फेर लिया। मौका था न्यू प्रेस क्लब आॅफ भिलाई के तत्वावधान में आयोजित जंगल सफारी का। राज्य के वन मंत्री महेश गागड़ा और जिला पुलिस अधीक्षक अमरेश मिश्रा के सहयोग से आयोजित इस शैक्षणिक भ्रमण में 60 से अधिक पत्रकार साथी अध्यक्ष टी सूर्याराव की अगुवाई में शामिल हुए।

दल सुबह 8 बजे नेहरू भवन प्रेस क्लब से रवाना हुआ। वन मंत्री श्री गागड़ा के अनुसार यह पहला मौका था जब राज्य का कोई प्रेस क्लब सामूहिक रूप से जंगल सफारी का भ्रमण कर रहा था। इस सफारी का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था।
लगभग दो घंटे की यात्रा के बाद बस जंगल सफारी पहुंची जहां टाइगर बॉय चेन्द्रू की आदमकद प्रतिमा ने उनका स्वागत किया। चेंद्रू को यहां एक बाघ के साथ खेलते हुए दिखाया गया है। नारायणपुर के गढ़ बेंगाल का 10 वर्षीय बालक चेन्द्रू 1960 में उस समय अंतरराष्ट्रीय सनसनी बन गया था जब उसे एक फिल्म में बाघ के शावकों के साथ खेलते दिखाया गया था। जंगल सेगा नाम की इस बहुचर्चित फिल्म को आॅस्कर मिला था। सितम्बर 2013 में चेंद्रू की मृत्यु हो गई।

जंगल सफारी में पत्रकार दल का स्वागत वन रक्षक नवीन कुमार पुरेना, गाइड कोशले एवं वाहन चालक ठाकुर प्रसाद गेंडरे ने की। चाय के बाद दल जालियों वाली तीन बसों में भरकर आगे बढ़े। सबसे पहले यह दल शाकाहारी वन्य प्राणियों के एन्क्लोजर में पहुंचा। यहां चीतल, बार्किंग डीयर, बारह सिंगा, नील गाय आदि थे। गाइड ने बताया कि इनकी संख्या अभी 1500 के करीब है। यहां चारागाह विकसित किया जा रहा है। फिलहाल चारा इससे संलग्न एक पृथक बाड़े में उगाया जाता है। इसके बाद दल जामवंत सफारी पहुंचा जहां भालुओं को रखा गया है। यहां कटहल, शहतूत, पीपल आदि के पेड़ लगाए गए हैं जिससे भालुओं का आहार मिलता है।
पत्रकारों का दल इसके बाद बाघों के एन्क्लोजर में पहुंचा। यहां भी किस्मत ने उनका साथ दिया और बाघ के दर्शन हो गए। गाइड ने बताया कि यहां फिलहाल चार वयस्क बाघ हैं और तीन शावक हैं। शिवाजी और किशोरी से तीन शावकों ने जन्म लिया है। इन्हें पर्यटकों से दूर सुरक्षित बाड़े में रखा गया है। दो ही बाघ बादशाह और चित्रा फिलहाल जंगल में विचरण कर रहे हैं। गाइड ने बताया कि चूंकि नर बाघ शावकों को खा जाता है इसलिए यह एहतियात बरती जा रही है।
इसके बाद दल पहुंचा जंगल के राजा की तलाश में। लायन सफारी में उनकी मन की मुराद पूरी हो गई। प्रिंस और प्रीति यहां सड़क किनारे पेड़ों के नीचे बैठे मिले। बब्बर शेर ने पहले तो पत्रकारों की गाड़ी का नोटिस ही नहीं लिया। फिर उठकर एक दूसरे के करीब आ गए। एक दूसरे की गर्दन सहलाकर प्यार जताया और फिर मुंह फेरकर खड़े हो गए। तब तक पत्रकार उन्हें अपने कैमरे में कैद कर चुके थे।

घडिय़ालों और मगरमच्छों के दर्शन के साथ लगभग डेढ़ घंटे का जंगल सफारी सम्पन्न हो गया। वन मंत्री के सौजन्य से इस दल के लिए दोपहर भोजन की व्यवस्था माना शासकीय रोपणी इंदिरा निकुंज में की गई थी। जहां लोगों ने वन विभाग के प्रति धन्यवाद ज्ञापन कर विदाई ली।
सुरक्षा सर्वोपरि
सफारी के दौरान पर्यटकों का वाहन से बाहर निकलना मना है। सफारी वाहन एक एक कर एन्क्लोजर्स की सैर कराते हैं जहां प्रवेश एवं निकास की विशेष व्यवस्था है। पहले लोहे को एक जंगला खुलता है और वाहन आगे बढ़कर एक दूसरे जंगले के सामने रुक जाता है। फिर पिछला जंगला बन्द होता है और आगे का जंगला खुल जाता है। यहां वाहन के नीचे पोटेशियम परमैंग्नेट घुला हुआ पानी होता है जिससे टायर धुल जाते हैं। यह वन्य प्राणियों को बाहरी संक्रमण से बचाता है। सबमेरिन में प्रवेश करने जैसा यह इंतजाम इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इससे वन्य प्राणी धोखे से भी वाहनों के पास से होकर बाहर नहीं जा सकते। गाइड ने बताया कि हिंसक प्राणियों को भोजन देते समय भी इसी तरह की सुरक्षा व्यवस्था का पालन किया जाता है। इनके लिए बकरे का मांस प्रतिदिन रायपुर से आता है। मांसाहारी प्राणियों को शाम 5 से 6 बजे के बीच भोजन दिया जाता है।