Indian Army ने सिर्फ हौसले से मार गिराए थे पाकिस्तान के Patton Tank
ये पैटन टैंक आज भी अपनी नाल नीचे किए हुए तिरंगे को सलामी देते हुए देश के प्रमुख शहरों में दिखाई दे जाते हैं
भिलाई। खेमकरण सेक्टर के असल उत्तर में 1965 में लड़ी गई तोपों की लड़ाई सैन्य इतिहास में अमर हो गई है। इस युद्ध में कम्पनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हामिद ने अपने हौसलों से पाकिस्तान को अमेरिका से मिले Patton Tanks की रिकायललेस गन से ही धज्जियां उड़ा दी थी। पैटन टैंकों का खौफ खत्म हो गया और Indian Army ने पाकिस्तान को चारों खाने चित कर दिया। इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान के 99 पैटन टैंकों को या तो नष्ट कर दिया या फिर अपने कब्जे में ले लिया था। जब्त टैंकों से पैटन गांव बसाया गया। बाद में इन्हें अलग अलग शहरों को वार ट्रॉफी के रूप में भेज दिया गया। जब्त किए गए ये पैटन टैंक आज भी अपनी नाल नीचे किए हुए तिरंगे को सलामी देते हुए देश के प्रमुख शहरों में दिखाई दे जाते हैं।
संतोष रूंगटा ग्रुप द्वारा आयोजित टेडएक्सआरसीईटी में यह जानकारी भारतीय सेना के चिकित्सक मेजर डॉ सुरेन्द्र पूनिया ने दी। मेजल डाक्टर पूनिया का नाम लिमका बुक ऑफ वल्र्ड रेकाड्र्स में दर्ज है। उन्होंने लगातार चार विश्व चैम्पियनशिप में भाग लिया और पावर लिफ्टिंग और एथलेटिक्स में 10 स्वर्ण सहित 27 मेडल जीते थे।
मेजर डॉ पूनिया ने कहा, 1965 की लड़ाई में पाकिस्तान के पास अमेरिकी पैटन टैंक थे। ये टैंक तब तक अभेद्य माने जाते थे। इन पर तोपों का तो क्या हवाई हमलों का भी असर नहीं होता था। पैटन टैंकों से लैस पाकिस्तान सेना लगातार आगे बढ़ रही थी। पाकिस्तान प्रथम आर्मर्ड डिविजन और 11वीं इन्फेंट्री डिविजन ने खेमकरण पर कब्जा कर लिया था और आगे बढ़ रही थी। भारतीय सेना के चौथे माउंटेन डिविजन के जीओसी मेजर जनरल गुरबख्श सिंह ने अपनी टुकडिय़ों को पीछे आकर घोड़े की नाल की आकृति बनाने के लिए कहा ताकि पाकिस्तानी हमलावरों को घेरा जा सके।
अपनी रिकायललेस गन प्लाटून के साथ अब्दुल हामिद पाकिस्तानी तोपों के सामने थे। उन्होंने अपने साथियों को खामोश रहने की हिदायत दी। जब पाकिस्तानी पैटन टैंक काफी करीब आ गए तो हामिद अपनी रिकायललेस गन माउंटेड जीप पर सवार हुए और आगे बढ़ते पैटन टैंकों के बाजू में चले गए। उन्होंने इन टैंकों की चेन पर वार करना शुरू कर दिया और दो दिन में एक एक कर 8 टैंक उड़ा दिए। पैटन टैंकों का खौफ खत्म हो गया और भारतीय सेना ने पाकिस्तान को चारों खाने चित कर दिया। इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान के 99 पैटन टैंकों को या तो नष्ट कर दिया या फिर अपने कब्जे में ले लिया था।
जब्त टैंकों से इस इलाके में पैटन गांव बसा दिया गया। बाद में इन्हें अलग अलग शहरों को वार ट्रॉफी के रूप में भेज दिया गया। जब्त किए गए ये पैटन टैंक आज भी अपनी नाल नीचे किए हुए तिरंगे को सलामी देते हुए देश के प्रमुख शहरों में दिखाई दे जाते हैं।
इस युद्ध में असाधारण पराक्रम का प्रदर्शन करते हुए हामिद शहीद हो गए। उन्हें देश का सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र प्रदान किया गया। रिकायललेस गन से अचूक निशाने बाजी के लिए ही क्वार्टर मास्टर हामिद को इस युद्ध में दोबारा इस प्लाटून की कमान सौंपी गई थी जिसे उन्होंने खुशी खुशी स्वीकार किया था।