गायत्री परिवार ने नक्सल प्रभावित सात जिलों को गोद लिया

रायपुर। गायत्री परिवार ने नक्सल प्रभावित सात जिलों को गोद लिया है। अशांत जिलों में दंडकारण्य परियोजना शुरू की जाएगी। शांति के लिए आध्यात्मिक, सामाजिक और भौतिक प्रगति करने में गायत्री परिवार विशेष योगदान देगा।रायपुर। गायत्री परिवार ने नक्सल प्रभावित सात जिलों को गोद लिया है। अशांत जिलों में दंडकारण्य परियोजना शुरू की जाएगी। शांति के लिए आध्यात्मिक, सामाजिक और भौतिक प्रगति करने में गायत्री परिवार विशेष योगदान देगा। छत्तीसगढ़ प्रवास पर आए गायत्री परिवार हरिद्वार के प्रमुख प्रणव पंड्या राजनीति, धर्म, धर्मगुरु और नक्सलवाद पर खुलकर बोले।

राजधानी में पत्रकारों से चर्चा में पंड्या ने कहा कि धर्म का राजनीति से संबंध नहीं है। धर्म की गोद में बैठना, धर्म के नाम पर वोट मांगना गलत है। धर्म तंत्र आदर्श है, लेकिन राजनीति तंत्र के आयाम ही दूसरे हैं। उन्होंने बताया कि गायत्री परिवार ने बस्तर सहित कांकेर, नारायणपुर, सुकमा, कोडागांव, बीजापुर, दंतेवाड़ा को गोद लिया है। इन जिलों के एक-एक बच्चे को गायत्री परिवार से जुड़े ढाई हजार राइस मिलर गोद लेंगे। दंडकारण्य परियोजना का संभागीय मुख्यालय फरसगांव के मसोरा गांव में होगा ।पंड्या ने कहा, मैं राज्यसभा के लायक नहीं हूं। जिनके खिलाफ लिखता हूं, उनके साथ कैसे बैठता। सांसद होने के नाते किसी दल विशेष से बंधना होता, इससे बेहतर था कि मैं 15 लाख लोगों के साथ रहूं। इसलिए इस्तीफा दे दिया।
धर्म गुरुओं के खिलाफ आ रहे फैसले पर पंड्या ने कहा कि अभी और जाएंगे। प्रसिद्धि का दुस्र्पयोग होगा तो दंड मिलेगा ही। आप दूसरे को जो संदेश देते हैं, पहले उसे अपने जीवन में उतारें। आत्म नियंत्रण तो सबसे अहम है। मंदिरों में दलितों को पुजारी बनाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि क्रांति के समान है। आने वाले समय में हर मंदिर में यह व्यवस्था करना होगी। स्वच्छ और नहाया आदमी से जाति नहीं पूछी जाती, मंदिरों के लिए योग्यता और स्वच्छता ही मापदंड है।
डॉ. रमन सरकार चलाएंगे, हम सुपरवाइजर रहेंगे
प्रणव पंड्या ने कहा कि मैं मंत्री बनने के पक्ष में नहीं हूं, मैं सुपरवाइजर बनना चाहता हूं। मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह सरकार चलाएं, गायत्री परिवार प्रेरणा के रूप में उनके साथ रहेगा। वे कालाधन का राष्ट्रीय अभियान का समर्थन करते हैं। गौहत्या पर उन्होंने चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह संवेदनशील मामला है। गायों की रक्षा के लिए व्यापक स्तर पर सोचने की जरूरत है। किसानों की दशा सुधारने के लिए बगैर रसायन की खेती पर जोर देना होगा।

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