शराब ने किया बर्बाद : स्टेशन मास्टर की मां थी रूपाली

भिलाई। शराब ने किया बर्बाद तो किस्मत भी क्या करे। रूपाली के पति रेलवे में थे। उनकी मौत हुई तो बड़े बेटे मुकुल दास को उनकी जगह रेलवे में अनुकम्पा नियुक्ति मिल गई। वह असम के मेशामारी रेलवे स्टेशन का स्टेशन मास्टर बन गया। छोटा बेटा रातुल भी मास्टर था। रूपाली को प्रतिमाह पेंशन के 12000 रुपए भी मिलते थे। रूपाली 2 महीना मुकुल के पास रहती तो 2 महीना रातुल के पास। हंसता खेलता परिवार था पर शराब ने सबकुछ निगल लिया।
मुकुल को शराब की लत लग गई। वह इतना पीने लगा कि रेलवे की नौकरी से निकाल दिया गया। मां के पेंशन से घर चलने लगा। पर एक दिन नशे की हालत में उसने रूपाली पर हाथ छोड़ दिया। दुखी मां ने एक वस्त्र में घर छोड़ दिया। कभी इस ट्रेन, कभी उस ट्रेन उसका सफर चलता रहा। लगभग डेढ़ माह बाद वह दुर्ग पहुंची। यहां बहुउद्देश्यीय सामाजिक संस्था आस्था में उसे शरण मिली। अस्थमा की बीमारी और अनाहार से टूटा शरीर जवाब दे गया। उसे दुर्ग सदर अस्पताल में भर्ती किया गया। 27 अक्टूबर को रायपुर रिफर कर दिया गया। पर उसने रास्ते में ही 108 एम्बुलेंस में उसने दम तोड़ दिया। सूचना पर रूपाली का छोटा बेटा रातुल अपने साले के साथ यहां पहुंचा। समाज सेवी पोलम्मा के साथ वह आस्था कार्यालय, सेक्टर-2, भिलाई पहुंचा। उसने प्रकाश गेडाम, बी पोलम्मा, आनंद अतृप्त आदि का धन्यवाद किया जिन्होंने अंतिम समय में उनकी मां की सेवा की। परिवार के दबाव में वह देहदान का फैसला नहीं कर पाया। मां का दाह संस्कार कर वह असम लौट गया।
जिस बेटे को पिता की नौकरी विरासत में मिली उसे मां की मृत्यु का पता ही नहीं चला। विरासत में मिली नौकरी भी गई, मां के साथ ही पेंशन का सहारा भी चला गया। सबकुछ होते हुए मां की लावारिस जैसी हालत में मृत्यु हुई।