प्रसाद के रूप में पौधे दे रहा गायत्री परिवार, 108 गांवों को जोड़ा

पर्यावरण संरक्षण के लिए गायत्री परिवार 'अपना गांव-अपना वनÓ योजना संचालित कर रहा है। परिवार से जुडऩे वाले नए सदस्यों को प्रसाद के रूप में पौधे दिए जा रहे हैं। इन पौधों को नए सदस्य तालाब किनारे या फिर अपने घरों के आंगन में लगाते हैं। साथ ही पौधों के बड़े होने तक देखभाल के लिए भी सदस्यों द्वारा संकल्प भी लिया जाता है।बिलासपुर। पर्यावरण संरक्षण के लिए गायत्री परिवार ‘अपना गांव-अपना वन’ योजना संचालित कर रहा है। परिवार से जुडऩे वाले नए सदस्यों को प्रसाद के रूप में पौधे दिए जा रहे हैं। इन पौधों को नए सदस्य तालाब किनारे या फिर अपने घरों के आंगन में लगाते हैं। साथ ही पौधों के बड़े होने तक देखभाल के लिए भी सदस्यों द्वारा संकल्प भी लिया जाता है। गायत्री परिवार का कहना है कि पौधे हमेशा पूजनीय रहे इस लिहाज से इसे लगाने से पहले बकायदा पूजा-पाठ की जाती है ताकि लोग इन पौधों से आध्यात्मिक रूप से भी जुड़े रहे। साथ ही इसके संरक्षण के लिए भी संकल्प लिया जाता है। गायत्री परिवार के शांतिकुंज प्रतिनिधि शिवचरण कश्यप ने बताया कि यज्ञ कर लोगों को पेड़ों का महत्व बताया जाता है ताकि लोगों को आत्मीय रूप से जुडऩे का अहसास हो। गायत्री परिवार इस अभियान को मिशन सप्त सूत्रीय आन्दोलन के रूप में चलाता है। इसमें प्रतिवर्ष गुरु पूर्णिमा से लेकर रक्षाबंधन पर्व तक तरु पुत्र व तरु मित्र बनाकर समाज के लोगों को जागरूक किया जाता है। लोग पौधों को गोद लेकर उसकी देखभाल करते हैं। इस वर्ष गायत्री प्रज्ञा पीठ व देव संस्कृति विद्यालय चिल्हाटी की ओर से लोहर्सी से ग्राम तीर्थ यात्रा की शुरुआत की गई है। इसमें अब तक 108 गांवों की यात्रा कर लोगों को पौधारोपण के लिए प्रेरित किया गया है। अभी तक बड़ी संख्या में पौेधे लगाए गए हैं।

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