वैज्ञानिक जीवन शैली से घर-घर जन्मेंगे कलाम

साइंस ऑफ लिविंग कार्यशाला में प्राचार्यों को मिले टिप्स
Jeevan Vigyanभिलाई। यदि मानव मानव नहीं बन पाया तो उसके वैज्ञानिक होने का भी समाज को कोई लाभ नहीं मिलने वाला। इसलिए जरूरी है कि मनुष्य को संस्कारी बनाया जाए। यदि मनुष्य वैज्ञानिक जीवनपद्धति अपनाएगा तो न केवल वह बेहतर जीवन जिएगा बल्कि उसकी क्षमताएं भी अपने उच्चतम स्तर को प्राप्त कर लेंगी। इससे घर-घर वैज्ञानिक पैदा करने का हमारा सपना भी सच हो जाएगा।यदि मानव मानव नहीं बन पाया तो उसके वैज्ञानिक होने का भी समाज को कोई लाभ नहीं मिलने वाला। इसलिए जरूरी है कि मनुष्य को संस्कारी बनाया जाए। यदि मनुष्य वैज्ञानिक जीवनपद्धति अपनाएगा तो न केवल वह बेहतर जीवन जिएगा बल्कि उसकी क्षमताएं भी अपने उच्चतम स्तर को प्राप्त कर लेंगी। इससे घर-घर वैज्ञानिक पैदा करने का हमारा सपना भी सच हो जाएगा।उक्त बातें साइंस ऑफ लिविंग के राष्ट्रीय समन्वयक राकेश खटेड़ ने यहां पोरवाल प्रेक्षा भवन में आयोजित कार्यशाला में दी। कार्यशाला में पोरवाल परिवार के सदस्यों के अलावा जिले के सीबीएसई से संबद्ध शालाओं के प्राचार्य एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। कार्यक्रम का आयोजन पोरवाल चैरिटेबल ट्रस्ट एवं जीवन विज्ञान अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में शिक्षा विभाग के सहयोग से संपन्न हुआ।
श्री खटेड़ ने बताया कि साइंस ऑफ लिविंग वह विधा है जो बच्चों को सांस लेना, उठना, बैठना, विश्राम करना, भोजन करना, योग करना आदि के गूढ़ ज्ञान सिखा देता है ताकि वह इन्हें सही ढंग से कर सके। इस विधा का विकास आचार्य महाप्रज्ञ ने पांच हजार वर्षों से ऋषियों द्वारा अपनाई जा रही जीवन पद्धति के अध्ययन के उपरांत किया था। इसमें बच्चों को एक पुस्तिका दी जाएगी जिसमें प्रश्न होंगे। बच्चों को दो माह के अभ्यास के बाद इन सवालों के जवाब देने होंगे। जवाब के आधार पर 51-51 हजार के 6 प्रथम पुरस्कार, 25-25 हजार एवं 11-11 हजार के कई पुरस्कार दिए जाएंगे। बच्चों को सम्मानित करने के दौरान उनके माता पिता एवं गुरुजी को भी मंच पर बुलाया जाएगा।
इस अवसर पर जिली शिक्षा विभाग के अतिरिक्त निदेशक एएनवीएस स्वामी ने कहा कि इस योजना को लेकर हम बहुत उत्साहित हैं। योजना के सही क्रियान्वयन से जिले के बच्चों की मेधा का विकास होगा और उनका भविष्य बेहतर हो सकेगा। योजना को भिलाई आमंत्रित करने वाले समाज सेवी दानमलजी पोरवाल ने कहा कि संस्कारी बच्चों से ही भारत का सही दिशा में विकास होगा और मानव बेहतर मानव बन पाएगा।
जीवन विज्ञान अकादमी के राष्ट्रीय निदेशक गौतम कुमार सेठिया ने बताया कि इस परीक्षा में खरा उतरने वाले की स्मरण शक्ति और मेधा का इतना विकास हो जाएगा कि वह चोटी के वैज्ञानिकों का मुकाबले बेहतर साबित होगा। कार्यक्रम में जीवन विज्ञान अकादमी की रायपुर क्षेत्र प्रमुख रितु चौरडिय़ा, राकेश पोरवाल, पंकज पोरवाल, नरेन्द्र दुग्गड़, सुरेश कोठारी, राजेन्द्र डागा, सुरेन्द्र जैन, बीआरओ पाटन टीआर जगदल्ले भी उपस्थित थे।

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