पाटणकर गर्ल्स कालेज के बच्चों ने देखा भिलाई इस्पात संयंत्र

भिलाई। शा. डॉ. वा. वा. पाटणकर गर्ल्स कालेज के अथर्शास्त्र विभाग की छात्राओं का एक दल भिलाई इस्पात संयंत्र के भ्रमण के लिये गया। भ्रमण उपरांत छात्राओं ने अपने अनुभवों के द्वारा इस्पात संयंत्र की विभिन्न गतिविधियों का एवं लोहे को फौलाद बनाने की निर्माण विधि की जानकारी विभाग को प्रस्तुत की।भिलाई। शा. डॉ. वा. वा. पाटणकर गर्ल्स कालेज के अथर्शास्त्र विभाग की छात्राओं का एक दल भिलाई इस्पात संयंत्र के भ्रमण के लिये गया। भ्रमण उपरांत छात्राओं ने अपने अनुभवों के द्वारा इस्पात संयंत्र की विभिन्न गतिविधियों का एवं लोहे को फौलाद बनाने की निर्माण विधि की जानकारी विभाग को प्रस्तुत की। छात्राओं को सहा. महाप्रबंधक जेएन ठाकुर एवं उनकी टीम ने संयंत्र की विभिन्न गतिविधियों से छात्राओं को रूबरू कराया। छात्राओं ने संयंत्र के अन्दर रेल एवं स्ट्रक्चर मिल का अवलोकन किया जहाँ 13, 26, 78 एवं 260 मीटर की रेलपातें बनती है। इस मिल से इतनी रेलपातों का उत्पादन हो चुका है जिससे पूरे विश्व को 10 बार लपेटा जा सकता है। छात्राओं ने मिल के प्रभारी अधिकारी से विभिन्न देशों में निर्यात होने वाले रेलपातों के बारे में भी जानकारी ली। प्रभारी ने बताया कि लगभग 32 देशों में यहाँ की बनी रेलपातें निर्यात होती है। जम्मू से बारामूला के बीच 345 कि.मी. का रेलमार्ग यहाँ की पटरियों से ही बना है। छात्राओं ने प्लेट मील का भी अवलोकन किया जहाँ छात्राओं को बताया गया कि यहाँ निर्मित प्लेटें जहाज निर्माण में प्रयुक्त होती है। अधिकारियों ने बताया कि भारत द्वारा निर्मित आईएनएस कोमॉर्ट नामक एन्टीसबमेरिन में भिलाई का ही लोहा लगा है।
भ्रमण दल को कोक ओवन एवं ब्लास्ट फर्नेस को भी नजदीक से देखने का मौका मिला। मिट्टी के ढेर में समाया लोहा कैसे फौलाद का रूप लेता है यह देखकर छात्राएँ बड़ी रोमांचित हुई। संयंत्र के अधिकारियों ने बताया कि यहां के लिए कच्चा लोहा दल्लीराजहरा से तथा लाईम स्टोन नंदनी माईन से तथा डोलोमाईट हिर्री माईंस से प्राप्त होता है। 04 फरवरी 1959 को तात्कालिक राष्ट्रपति महामहिम डॉ. राजेन्द्र प्रसाद द्वारा उद्घाटित यह इस्पात संयंत्र उस समय प्रतिवर्ष 2.5 मिलियन टन का उत्पादन करता था जो अब बढ़कर 14 मिलियन टन प्रतिवर्ष हो गया है।
भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन ने पर्यावरण सुरक्षा के अंतर्गत पूरे भिलाई शहर को इतनी हरियाली दी है कि बाहर से आने वाले लोगों के लिए यह एक उदाहरण बन गया है। प्रबंधन द्वारा उत्पादकता, गुणवत्ता, कार्यक्षमता एवं पर्यावरण सुरक्षा के प्रयास में लगातार वृद्धि किये जाने के फलस्वरूप भिलाई इस्पात संयंत्र को कई बार प्रधानमंत्री ट्रॉफी से भी नवाजा जा चुका है।
छात्राओं ने भिलाई इस्पात संयंत्र का भ्रमण डॉ. डीसी.अग्रवाल एवं डॉ. सीमा अग्रवाल के नेतृत्व में किया।

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