मातृछाया में पल रही मुस्कान को मिले इतालवी माता-पिता, बेल्जियम में होगा आशियाना

बिलासपुर। इटली की दंपति के आंगन का सूनापन उनकी शादी के 10 साल बाद मातृछाया की 5 साल की बच्ची की मुस्कान से दूर होगा। शुक्रवार को जब उन्हें अपनी बेटी की एक झलक दिखी तो उनकी आखें भी छलक उठी। फिर उसे गले लगा लिए और पुचकारते रहे। सादे कार्यक्रम में गोद लेने की प्रक्रिया पूरी की गई।बिलासपुर। इटली की दंपति के आंगन का सूनापन उनकी शादी के 10 साल बाद मातृछाया की 5 साल की बच्ची की मुस्कान से दूर होगा। शुक्रवार को जब उन्हें अपनी बेटी की एक झलक दिखी तो उनकी आखें भी छलक उठी। फिर उसे गले लगा लिए और पुचकारते रहे। सादे कार्यक्रम में गोद लेने की प्रक्रिया पूरी की गई। इटली निवासी पेशे से इंजीनियर एंड्रयू फोचेस्टो और प्रायमरी स्कूली की शिक्षिका इकोलेटा शुक्रवार को मातृछाया पहुंचे। दोनों की शादी वर्ष 2010 में हुई थी और उनकी कोई संतान नहीं है। उन्हें अपने आंगन के इस सूनेपन को भरने के लिए संतान के रूप में बेटी को चुना। मातृछाया में सादे कार्यक्रम में उन्हें उनकी बेटी को सौंपा गया।कार्यक्रम के दौरान जैसे ही बेटी उनकी गोद में आई, वैसे ही उनकी आंखों से खुशियों के आंसू छलकते रहे। पूरे समय वे अपनी बेटी को गले लगाए रखे। वे इस अवसर पर बेटी के अच्छे से लालन-पालन की बात भी कहते रहे। इससे मातृछाया में बिना माता-पिता के दुलार के पल रही नन्हीं बेटी को भी इटली में माता-पिता के साथ ही उसका अपना नया घर भी मिला। वह भी अपने माता-पिता का साथ और दुलार पाकर खुशी से उनकी गोद में चहकती रही। वह जल्द ही अपने नए घर इटली के लिए उड़ान भरेगी। कार्यक्रम के दौरान संगीता अग्रवाल, शशि नागदेव, पूनम सिंह राणा, लता गुप्ता, प्रतिमा दत्ता, मीरा अग्रवाल, जानकी थवाइत, इंदु सहित बड़ी संख्या मातृृछाया के पदाधिकारियों के साथ ही सामाजिक संस्था के लोग भी उपस्थित थे।
2014 में आया था आवेदन
मातृछाया के दिनेश कानस्कर ने बताया कि उनका आवेदन इटली की संस्था एमीसी मिशनी इंडियन के माध्यम से दिल्ली की संस्था कारा के पास आया। कारा के माध्यम से मातृछाया को 17 फरवरी 2014 को आवेदन मिला और इसके बाद प्रक्रिया शुरू हुई। सभी प्रकार की कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करने में करीब 3 साल का समय लगा। इसके बाद दंपति को बेटी सौंपी गई।
मातृछाया के पदाधिकारियों ने बताया कि भारत में एडॉप्शन को लेकर बड़ी संख्या में संस्थाएं काम कर रही हैं और यहां संभावनाएं भी ज्यादा है। इस वजह से विदेशों से भी दंपति बच्चों की चाह में भारत आते हैं। आनआइन जानकारी होने से बच्चे की फोटो नेट में देखने के बाद बातचीत का सिलसिला शुरू होता है। गोद लेने की प्रक्रिया में काफी कड़ाई बरती जाती है। गोद लेने के बाद भी हर 6 महीने गोद लेने वाली दंपति को बच्चे की संपूर्ण जानकारी फोटो के साथ संबंधित संस्था और कोर्ट को देना होता है।

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