गर्ल्स कॉलेज की छात्राओं ने ‘सार्वजनिक वितरण प्रणाली’ का सर्वेक्षण किया

दुर्ग। शासकीय डॉ. वावा पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय की एम.कॉम. द्वितीय एवं चतुर्थ सेमेस्टर की छात्राओं ने छत्तीसगढ़ की सार्वजनिक वितरण प्रणाली को जानने सर्वेक्षण एवं अध्ययन किया। गर्ल्स कालेज की छात्राओं ने ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र की सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों में जाकर कार्यप्रणाली की जानकारी ली वहीं राईसमिलों का भ्रमण कर धान से चावल निर्माण की प्रक्रिया को देखा। दुर्ग। शासकीय डॉ. वावा पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय की एम.कॉम. द्वितीय एवं चतुर्थ सेमेस्टर की छात्राओं ने छत्तीसगढ़ की सार्वजनिक वितरण प्रणाली को जानने सर्वेक्षण एवं अध्ययन किया। गर्ल्स कालेज की छात्राओं ने ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र की सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों में जाकर कार्यप्रणाली की जानकारी ली वहीं राईसमिलों का भ्रमण कर धान से चावल निर्माण की प्रक्रिया को देखा। दुर्ग। शासकीय डॉ. वावा पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय की एम.कॉम. द्वितीय एवं चतुर्थ सेमेस्टर की छात्राओं ने छत्तीसगढ़ की सार्वजनिक वितरण प्रणाली को जानने सर्वेक्षण एवं अध्ययन किया। गर्ल्स कालेज की छात्राओं ने ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र की सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों में जाकर कार्यप्रणाली की जानकारी ली वहीं राईसमिलों का भ्रमण कर धान से चावल निर्माण की प्रक्रिया को देखा। वाणिज्य संकाय के विभागध्यक्ष डॉ. के.एल. राठी ने बताया कि छत्तीसगढ़ की सार्वजनिक वितरण प्रणाली की पूरे देश में प्रशंसा की गयी है। छात्राओं ने अपने अध्ययन एवं सर्वेक्षण में इसे प्रमुखता दी और जमीनी स्तर पर इसका अध्ययन करने भ्रमण किया। छात्राओं ने ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों की दुकानों का भ्रमण किया और वहाँ की प्रक्रिया जानी।
उन्होनें बी.पी.एल. काडर्धारी हितग्राहियों को राशन वितरण की प्रक्रिया, रिकार्ड का संधारण देखा। आधुनिक संसाधनों को बेहतर ढंग से किए जा रहे इस्तेमाल से परिचित हुई। उन्होनें प्रयोग किए जा रहे साफ्टवेयर की जानकरी ली कि उसका प्रयोग वितरण प्रणाली में किस प्रकार किया जाता है। शहरी क्षेत्रों में वितरण की व्यवस्था से भी रूबरू हुई। वाणिज्य संकाय की प्राध्यापक डॉ. शशि कश्यप ने बताया कि छात्राओं को सीता राईस मिल का भी भ्रमण कराया गया। जहाँ पर उन्होनें धान से चांवल बनाने की प्रक्रिया देखी।
उन्होनें देखा कि स्वचलित मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है जो चांवल बनाने की प्रक्रिया में भूसी, कंकड़, काले चावल को स्वत: ही अलग कर देती है। यहाँ से निर्मित चांवल का निर्यात भी किया जाता है। भूसे से खाद्यतेल का निर्माण किया जाता है। जो कि राईस ब्रान तेल कहलाता है और यह काफी प्रसिद्ध भी है।
एम.कॉम. की छात्रा रूचि शर्मा ने बताया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली की प्रशंसा हमने सुनी थी उसे प्रत्यक्ष देखने एवं प्रक्रिया को जानने का अवसर हमें मिला। छत्तीसगढ़ शासन की इस वितरण प्रणाली में बेहतर ढंग से रिकार्ड संसाधन किया जाता है वहीं तकनीकी का भी इस्तेमाल पारदशिर्ता को दर्शाता है। छात्राओं द्वारा इस अध्ययन पर सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार कर विभाग को प्रस्तुत किया जावेगा।

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