वरिष्ठ नाट्यकार रामहृदय तिवारी पर केन्द्रित पुस्तक का विमोचन

दुर्ग। दाऊ मंदराजी सम्मान से विभूषित वरिष्ठ नाट्य निर्देशक रामहृदय तिवारी के अवदानों पर केन्द्रित पुस्तक का विमोचन सुप्रसिद्ध संत पं. राजन शर्मा ने किया। इस अवसर पर संत राजन शर्मा सहित अन्य वक्ताओं ने श्री तिवारी की कला यात्रा, उनके विशिष्ट योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि उन्होंने अपने निर्देशन से लोकनाट्य में युगीन बदलाव किया। उन्होंने जो भी किया पूरी ईमानदारी से किया।दुर्ग। दाऊ मंदराजी सम्मान से विभूषित वरिष्ठ नाट्य निर्देशक रामहृदय तिवारी के अवदानों पर केन्द्रित पुस्तक का विमोचन सुप्रसिद्ध संत पं. राजन शर्मा ने किया। इस अवसर पर संत राजन शर्मा सहित अन्य वक्ताओं ने श्री तिवारी की कला यात्रा, उनके विशिष्ट योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि उन्होंने अपने निर्देशन से लोकनाट्य में युगीन बदलाव किया। उन्होंने जो भी किया पूरी ईमानदारी से किया।‘कालजयी लोकनाट्यों के निर्देशक रामहृदय तिवारी’ पुस्तक को श्री तिवारी का नया जन्मदिन निरूपित करते हुए उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में उनकी जिंदगी का पूरा प्रयोजन समाहित है। रामायण, गीता की तरह ही इस किताब में कई अनसुलझे व अछूते सवालों के जवाब मिलेंगे। कई जगह यह पुस्तक खुद की जिंदगी का आईना लगती है। लोकरंग अरजुन्दा के संचालक दीपक चंद्राकर ने कहा कि उन्हें रंगमंच पर प्रतिष्ठित करने का सम्पूर्ण श्रेय गुरु रामहृदय तिवारी को जाता है। उनके सानिध्य में लोक कला जगत के अनेक सितारे चमके हैं। डॉ. शैलजा ने कहा कि तिवारी जी के निर्देशन ने ही उनकी पहचान बनाई है। जो कुछ वे हैं उनकी बदौलत ही हैं। डॉ. विनायक मेश्राम व डॉ. सुनीता वर्मा ने भी तिवारी जी के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला। ज्ञात हो कि पुस्तक ‘कालजयी लोकनाट्यों के निर्देशक रामहृदय तिवारी’ के सम्पादक राजेन्द्र सोनबोइर, प्रकाशक दीपक चंद्राकर संचालक लोकरंग अरजुन्दा हैं। प्रकाशन सहयोग लक्ष्मण चंद्राकर व शरद तिवारी का है।
मिलेंगी उपयोगी शोध सामग्री
असल में यह पुस्तक वरिष्ठ निर्देशक रामहृदय तिवारी की कला यात्रा का समग्र है। श्री तिवारी ने लोकनाट्यों-लोरिक चन्दा, कारी के निर्देशन के जरिए युगीन बदलाव किया। एक नई अनूठी निर्देशन शैली से लोकनाट्यों के नए प्रतिमान रचे। लोकमंच को हर बार अपनी नई-नई शैलियों वाली प्रस्तुतियों से समृद्ध किया। पुस्तक में आने वाली पीढ़ी को लोकमंचों पर केन्द्रित विषयों के लिए उपयोगी शोध सामग्रियां मिलेंगी। इसमें श्री तिवारी के कई साक्षात्कार हैं। जिनमें उनके बहुआयामी गहरे विचार विस्तार से आए हैं। उनके द्वारा लिखित विविध विषयों पर महत्वपूर्ण आलेखों का समावेश है, जिनमें नवीनता, दृष्टि संपन्नता है जो युवा कमिर्यों को सार्थक और अनुकरणीय लगेगी।
इस अवसर पर अशोक तिवारी, राधेश्याम चं्राकर, शरद तिवारी, नवीन संचेती, सतनाम सिंह, संजय चौधरी, श्रीमती बबीता चौधरी, हरजीत सिंह, गोवर्धन जायसवाल, मंगल दास, उभय राम साहू, सतीश चंद्राकर, उर्वशी चंद्राकर, ओम चंद्राकर, अनिता चंद्राकर, शीला खन्ना, सरिता, करूणा सहित बड़ी संख्या में गणमान्य लोग मौजूद थे।

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