इंजीनियरिंग की कोर ब्रांचेस की डिमांड कभी कम नहीं होती

RCET Civil Engineeringभिलाई। इंजीनियरिंग की पढ़ाई भले ही कई विभागों में बंट चुकी हो किन्तु इसके कोर ब्रांचेस की डिमांड कभी कम नहीं होती। सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़ी शाखाओं कम्प्यूटर साइंस और आईटी का जहां अपने क्रेज है वहीं सिविल, इलेक्ट्रिकल और मेकानिकल का महत्व अपने स्थान पर कायम है। इंजीनियरिंग के कोर ब्रांचेस में स्टूडेंट्स का सदैव से रूझान रहा है इस वजह से ये हॉट फेवरेट ब्रांचेस के रूप में जानी जाती हैं। हमारे देश में मेक इन इंडिया पॉलिसी के लागू होने से कोर ब्रांचेस से पास हो रहे इंजीनियर्स के लिये जहां एक ओर रोजगार की संभावनायें बढ़ रही हैं वहीं स्टार्टअप्स के माध्यम से स्व-रोजगार के रास्ते भी खुल गये हैं। RCET Mechanical Engineeringसंतोष रूंगटा समूह (आर-1) के डायरेक्टर टेक्निकल डॉ. सौरभ रूंगटा के अनुसार मैकेनिकल इंजीनियरिंग का क्षेत्र अन्य उपलब्ध सभी इंजीनियरिंग ब्रांचों के अपेक्षाकृत विस्तृत रूप में होता है। उद्योगों में मंदी के दौर में भी रोजगार सेक्टर में मैकेनिकल इंजीनियर्स की मांग पर कोई फर्क नहीं पड़ता अर्थात यह एक रिसेशन-फ्री ब्रांच है। भारत तथा विशेषकर हमारे राज्य में इस्पात का उत्पादन करने वाले उद्योगों की अधिकता है तथा इस्पात उत्पादन हेतु आवश्यक मूल-भूत सुविधाओं को जुटाने में मैकेनिकल इंजीनियरिंग का अहम योगदान होता है। मुख्यत: मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री के अलावा सरकारी या पब्लिक व प्रायवेट सेक्टर में प्रशासनिक एवं प्रबंधकीय पदों पर कार्य हेतु मैकेनिकल इंजीनियरों के लिये अच्छे रोजगार के अवसर उपलब्ध है। RCET Electrical Engineeringमैकेनिकल इंजीनियरिंग किये हुए व्यक्ति के लिये स्व-रोजगार की भी असीम संभावनायें हैं। स्वयं का वकर्शाॅप, फैब्रिकेशन आदि यूनिट स्थापित कर अपनी रोजी-रोटी का प्रबंध आप ही कर सकता है। वहीं सिविल इंजीनियरिंग भी एक रोजगार तथा स्व-रोजगार प्रदान करने वाली असीम संभावनाओं से भरी ब्रांच है। सिविल इंजीनियर्स का कार्य पुलों, बांधों, वॉटर सिवरेज आदि से संबंधी विभिन्न लोक निर्माण की योजना बनाने, विश्लेषण, डिजाइन, सुपरविजन और निर्माण संबंधी होता है। सिविल इंजीनियरिंग से जुड़ा सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि यह सभी सेक्टर्स के उद्योगों से मूल रूप से जुड़ा होता है। उद्योगों से संबंधित कोई भी प्रक्रिया किसी सिविल इंजीनियर के बगैर प्रारंभ ही नहीं हो सकती। उद्योगों के अलावा भी विभिन्न सेक्टर्स में जो भी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रगति हो रही है उसमें सिविल इंजीनियरिंग का प्रमुख योगदान है। देश-विदेश में हो रहे विकास तथा भविष्य की संभावनायें सिविल इंजीनियर्स के लिये रोजगार अवसरों की खान साबित होगी।
समूह के डायरेक्टर एफ एण्ड ए सोनल रूंगटा ने बताया कि इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग व इससे जुड़ी इलेक्ट्रिकल इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स का कोर ब्रांच में भविष्य सुरक्षित रहता ही है साथ ही साथ इंटर डिसिप्लिनरी सब्जेक्ट्स में आगे पढ़ने और बढ़ने के पर्याप्त अवसर रहते हैं। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स इलेक्ट्रिकल विभाग के मूल विषयों का अध्ययन तो करते ही हैं साथ ही उनके पाठ्यक्रम में इलेक्ट्रॉनिक्स, कम्प्यूटर साइंस, मैनेजमेंट आदि के विषयों का भी समावेश होता है। वतर्मान में उद्योगों में भी ऐसे ही इंजीनियरिंग ग्रेजुएट की तलाश रहती है जो कि बहुआयामी प्रतिभा संपन्न हो। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग ब्रांच आधुनिक इंजीनियरिंग ब्रांचों की जननी है। लगातार हो रहे औद्योगीकरण तथा पावर सेक्टर में आये बूम के चलते सरकारी तथा निजी क्षेत्र में इन ब्रांचों के स्टूडेंट्स हेतु रोजगार के अच्छे अवसर हैं। पारंपरिक और गैर-पारंपरिक उर्जा स्त्रोतों के दोहन से विद्युत उत्पादन की संभावनाओं के बढ़ने से इस ब्रांच के स्टूडेंट के लिये अवसर बढ़े हैं।
इंजीनियरिंग की कोर ब्राचेस का चयन कर पढ़ने के इच्छुक स्टूडेंट्स बीई व डिप्लोमा इंजीनियरिंग की इन ब्रांचेस में प्रवेश लेकर प्राप्त सुअवसर का लाभ उठा अपना भविष्य सुरक्षित कर सकते हैं।

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