स्वरूपानंद कालेज में शाकाहार के संकल्प पर परिचर्चा का आयोजन

SSSSMV vegetarian dayभिलाई। स्वरूपानंद महाविद्यालय में 24.11.2018 को ‘प्लेज टू बी वेज’ पर परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसका उद्देश्य स्टॉफ तथा छात्रों को वेजीटेरियन (शाकाहार) के फायदे से अवगत कराना था। परिचर्चा का आयोजन साईंस विभाग व आईक्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान में किया गया परिचर्चा की शुरूआत करते हुये प्राचार्य डॉ. श्रीमती हंसा शुक्ला ने कहा कि इंसान मृत शरीर को घर में नहीं रख सकता तो किसी मृत जीव को आहार कैसे बना सकता है, मांसाहार भोजन गरिष्ठ होने के कारण सुपाच्य नहीं होता है अत: भोजन में नियमित मांसाहार भोज्य पदार्थ का सेवन करने वाले लोगों को कम उम्र में ही लीवर संबंधि बीमारियों होती है। साईंस ने भी मांसाहार को बीमारियों का आधार बताया है।
बायोटेक विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. शिवानी शर्मा ने कहा कि प्लाट्ंस में मिनरल, विटामिन व न्यूट्रीयेंट्स बैलेंस मात्रा में पायी जाते है। जिसका उपयोग लाभदायक है।
आईक्यूएसी संयोजिका ज्योति उपाध्याय ने कहा मांसाहार को पचने में शाकाहार की तुलना में ज्यादा वक्त लगता है। कई सेलीब्रिटीज ने भी अपने स्वास्थ्य के लिये शाकाहार को अपनाया है तो हम सब क्यूँ नहीं अपना सकते।
शिक्षा विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. पूनम निकुंभ ने कहा कि, कहा जाता है जो जैसा खाओगे अन्न वैसा रहेगा मन अत: हमें सात्विक भोजन करना चाहिये। इसके साथ ही उन्होंने जानकारी दी की गाय के हम्प में सूर्य की किरणे एकत्रित होती है, जिसके कारण गाय का दूध पीला होता है।
बीबीए छात्र परिणय ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि आज हर व्यक्ति लाइफ को एन्जाय करना चाहता है। इसी एन्जायमेंट में मासांहार को भी शामिल करता है। हमें अपने एन्जायमेंट के लिये मूक जानवरों को अपना आहार नहीं बनाना चाहिये।
बीसीए छात्र सिद्धार्थ ने कहा कि इंसान ने जिज्ञासा वश मांसाहार चालू किया था। आज हम शिक्षित हैं तो शाकाहार को अपनाना संभव है। नितिश बीसीए ने कहा कि शरीर रुपी इंजन के लिये शाकाहार उत्तम आहार है।
बीसीए छात्रा रीचा ने कहा कि मांसाहारी व्यक्ति अपने फायदे के लिये ऐसे जीव की हत्या करता है जो अपनी भावनाओं को प्रकट नहीं कर सकते। परिचर्चा में प्राध्यापक आरती गुप्ता, सुनीता शर्मा, निशा पाठक, पूजा सोढ़ा, कामीनी, ज्योति शर्मा, प्रियंका उपस्थित थी। परिचर्चा के अंत में सभी प्रतिभागियों ने शाकाहार अपनाने की प्रतिज्ञा ली।

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