त्रुटिपूर्ण मुद्राओं से युवाओं में पैदा हो रहे रीढ़ के विकार : डॉ कामड़ी
भिलाई। अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ सुहास गुलाब राव कामड़ी ने रीढ़ के अधिकांश विकारों के लिए युवाओं की खराब मुद्रा को जिम्मेदार ठहराया है। मोबाइल गेम्स और सोशल मीडिया में उलझी यह पीढ़ी घंटों गर्दन और पीठ को तनाव पूर्ण मुद्रा में रखती है, जिसके कारण गर्दन, कंधे एवं पीठ में दर्द रहने लगता है। लापरवाही से यह समस्या बेहद गंभीर हो सकती है। उन्होंने कहा कि आज 3 में से 1 व्यक्ति गलत ढंग से मोबाइल का इस्तेमाल करने या दुपहिया चलाने के कारण दर्द का शिकार है।जिनोटा पॉलीक्लिनिक एवं फार्मेसी से जुड़े डॉ कामड़ी ने कहा कि रीढ़ की हड्डी स्वाभाविक रूप से लचीली होती है। पर किसी एक ही मुद्रा में लगातार बैठने से इसमें अस्वाभाविक खिंचाव पैदा होता है। गर्दन को लगातार झुकाए रखना, बैठते समय पीठ का कर्व बनना दर्द का कारण बन सकता है। इसके अलावा ऊबड़ खाबड़ सड़कें, स्पीड ब्रेकर्स और रम्बलर्स भी रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। फैंसी बाइक्स में जो लोग पीठ को झुकाए हुए हाथों पर भार देकर गाड़ी चलाते हैं, उन्हें भी रीढ़ की समस्या हो सकती है। डॉ कामड़ी ने बताया कि बुढ़ापे में अस्थियां कमजोर हो जाती हैं और उनमें क्षरण प्रारंभ हो जाता है। इसके कारण भी समस्या उत्पन्न होती है।
डॉ कामड़ी ने बताया कि गर्दन, कंधे या पीठ में दर्द होने पर सबसे पहले अपनी मुद्रा (पोस्चर) को ठीक करें। यदि फिर भी दर्द ठीक नहीं होता तो तत्काल किसी अस्थि रोग विशेषज्ञ की सलाह लें। दर्द निवारक टैबलेट्स, जेल या स्पे्र से इसका इलाज स्वयं करने की कोशिश न करें। इससे समस्या का निदान होने की बजाय उसके और जटिल हो जाने की संभावना रहती है।
डॉ कामड़ी ने बताया कि उठने बैठने की मुद्रा में सुधार के साथ ही औषधि एवं फिजियोथेरेपी से इसका उपचार संभव है। लगातार उपेक्षा करने पर स्थिति सर्जरी तक पहुंच सकती है।












