आत्महत्या के तरीकों का प्रचार न करे मीडिया : कलेक्टर शिखा राजपूत

बेमेतरा। स्वास्थ्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत आज यहां जिला पंचायत सभाकक्ष में मीडिया प्रतिनिधियों की कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें आत्महत्या की रोकथाम में मीडिया की भूमिका पर चर्चा की गई। कलेक्टर शिखा राजपूत तिवारी ने मीडिया से अपेक्षा जताई कि वह आत्महत्या की खबरों के प्रकाशन को लेकर संवेदनशील हो। कलेक्टर शिखा राजपूत ने कहा कि मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ माना गया है जिसकी पहुंच सीधे जनता तक है।बेमेतरा। स्वास्थ्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत आज यहां जिला पंचायत सभाकक्ष में मीडिया प्रतिनिधियों की कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें आत्महत्या की रोकथाम में मीडिया की भूमिका पर चर्चा की गई। कलेक्टर शिखा राजपूत तिवारी ने मीडिया से अपेक्षा जताई कि वह आत्महत्या की खबरों के प्रकाशन को लेकर संवेदनशील हो। कलेक्टर शिखा राजपूत ने कहा कि मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ माना गया है जिसकी पहुंच सीधे जनता तक है। बेमेतरा। स्वास्थ्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत आज यहां जिला पंचायत सभाकक्ष में मीडिया प्रतिनिधियों की कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें आत्महत्या की रोकथाम में मीडिया की भूमिका पर चर्चा की गई। कलेक्टर शिखा राजपूत तिवारी ने मीडिया से अपेक्षा जताई कि वह आत्महत्या की खबरों के प्रकाशन को लेकर संवेदनशील हो। कलेक्टर शिखा राजपूत ने कहा कि मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ माना गया है जिसकी पहुंच सीधे जनता तक है।आत्महत्या को लेकर छत्तीसगढ़ में आंकड़े चिंताजनक हैं। युवा डिप्रेशन में आकर घातक कदम उठा रहे हैं। जिलाधीश ने स्कूल एवं कॉलेजो में इसकी रोकथाम के लिए कार्यक्रम आयोजित करने की बात कही। उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित मीडिया के प्रतिनिधियों से आग्रह कि वे आत्महत्या की खबरों को इस तरह से प्रस्तुत करें कि समाज में आत्महत्या के तरीके का प्रचार न हो, कि मरने वाले ने किस तरह से आत्महत्या की है। साथ ही यह भी उल्लेख करे कि आत्महत्या करने से उनसे जुड़े लोगों को किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती कविता साहू ने स्वास्थ्य विभाग को इसके आयोजन के लिए धन्यवाद दिया। इस अवसर पर सीईओ प्रकाश कुमार सर्वे, मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.एस.के शर्मा, सिविल सर्जन डॉ.एस.के पाल, उप पुलिस अधीक्षक एस.एस.शर्मा, सेंटर फार एडवोकेसी एण्ड रिसर्च नई दिल्ली के विषय -विशेषज्ञ सुश्री आरती धर, अनिस एवं नदीम अहमद, सुष्मिता, डॉ.सुमी जैन छ.ग. ने मीडिया प्रतिनिधियों से विस्तार से चर्चा की।
सीएफएआर संस्था के विषय-विशेषज्ञ सुश्री आरतीधर ने कहा कि इंसान का कत्र्तव्य है कि वह एक दूसरे की मदद करें। उन्होंने आत्महत्या करने के विभिन्न कारणों की जानकारी देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ पहला राज्य है जहां आत्महत्या रोकथाम के लिए मीडिया प्रतिनिधियों का प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया है। 14 वर्ष से 25 वर्ष के युवा सबसे अधिक आत्महत्या करते है। जिसका कारण अधिक्तर पढ़ाई में फेल होना, अपनी इच्छा को पूरा न कर पाना, नौकरी नहीं मिल पाना, दिमाग में अधिक तनाव लेने के साथ ही इस तरह के विभिन्न कारणों की जानकारी दी।
डॉ. सुमी जैन रायपुर ने बताया कि मीडिया को ऐसी भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए, जो आत्महत्या को सनसनीखेज या फिर एक सामान्य सी बात बनाती हो या इसे समस्याओं के हल के तौर पर दिखाती हो। अक्सर देखा गया है कि लोगों का ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य से शीर्षक सनसनीखेज बनाए जाते हैं। अधिकांश रिपोर्टों के लिए ये न्यायोचित हो भी सकता है, लेकिन आत्महत्या पर रिपोर्ट लिखते समय ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, क्योंकि ये पाठक पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। इसलिए इस बात पर ध्यान देना भी जरूरी है कि शीर्षक सनसनीखेज न बनाए जाएं। शीर्षक में आत्महत्या शब्द को इस्तेमाल करने से बचा भी जा सकता है। आत्महत्या की रिपोर्टों को पृष्ठ में मुख्य स्थान पर लगाने व उनके गैरजरूरी दोहराव से बचना जनहित के लिए एक अच्छा प्रयास हो सकता है। इसके साथ ही आत्महत्या या आत्महत्या की कोशिश में अपनाए गए तरीकों को विस्तार से बताने से बचें। अनिस ने बताया कि जहां तक संभव हो तो रिपोर्ट में मृत व्यक्ति की फोटो का इस्तेमाल करने से बचें। रिपोर्ट को इस तरीके से लिखा जा सकता है कि उसमें इस्तेमाल किए गए तरीके के बारे में न बताया जाए और इसका खबर पर कोई प्रभाव भी न पड़े। नदीम अहमद ने कहा कि आत्महत्या के खबरों में इस बात का उल्लेख किया जाना चाहिए कि जो व्यक्ति आत्महत्या करता हैं उस पर आश्रित लोग विशेषकर मां-पिता, पत्नी, बच्चें की स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जिससे परिवार का सहारा छीन जाता है। साथ ही अवसाद आत्महत्या का प्रमुख कारण है। उन्होनें मानसिक तनाव, अवसाद के संबंध पर विस्तृत रूप जानकारी दी और कहा कि मीडिया इस मामले में सकारात्मक भूमिका अदा करेगा। कंम्प्युटर आधारित पावर प्वाइंट प्रजेन्टेशन के जरिए कायर्शाला में विस्तार से जानकारी दी गई। इसके अलावा कायर्शाला में उपस्थित इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया से जुड़े के सभी पत्रकारगणों के प्रश्नों एवं शंकाओं का समाधान भी किया गया।

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