शंकराचार्य महाविद्यालय में मोर धरती-मोर कर्तव्य के तहत रैली, पौधरोपण

भिलाई। श्री शंकराचार्य महाविद्यालय की एनसीसी इकाई के द्वारा मोर धरती मोर कर्तव्य को चरितार्थ करते हुए वृक्षारोपण, जागरूकता रैली एवं पर्यावरण संरक्षण हेतु संदेश घर-घर पहुंचाने हेतु कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्राचीन काल में मनुष्य धरती को माता कहकर संबोधित करता था, और धरती से जिस भी प्रकार से लाभान्वित होता था। उसे किसी न किसी रूप में चाहे पर्यावरण की देखभाल या बरसात के पानी को परंपरागत उपाय से धरती को सौपता था।भिलाई। श्री शंकराचार्य महाविद्यालय की एनसीसी इकाई के द्वारा मोर धरती मोर कर्तव्य को चरितार्थ करते हुए वृक्षारोपण, जागरूकता रैली एवं पर्यावरण संरक्षण हेतु संदेश घर-घर पहुंचाने हेतु कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्राचीन काल में मनुष्य धरती को माता कहकर संबोधित करता था, और धरती से जिस भी प्रकार से लाभान्वित होता था। उसे किसी न किसी रूप में चाहे पर्यावरण की देखभाल या बरसात के पानी को परंपरागत उपाय से धरती को सौपता था। भिलाई। श्री शंकराचार्य महाविद्यालय की एनसीसी इकाई के द्वारा मोर धरती मोर कर्तव्य को चरितार्थ करते हुए वृक्षारोपण, जागरूकता रैली एवं पर्यावरण संरक्षण हेतु संदेश घर-घर पहुंचाने हेतु कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्राचीन काल में मनुष्य धरती को माता कहकर संबोधित करता था, और धरती से जिस भी प्रकार से लाभान्वित होता था। उसे किसी न किसी रूप में चाहे पर्यावरण की देखभाल या बरसात के पानी को परंपरागत उपाय से धरती को सौपता था।आज के युग में केवल धरती और उससे संबंधित प्राकृतिक खनिजों का दोहन हो रहा है, धरती या पर्यावरण को लौटाने का दायित्व मानव भूलता जा रहा है। एन.सी.सी. इकाई के कैडटो ने उक्त समस्या पर गंभीरता पूर्वक विचार करते हुए पर्यावरण को सुरक्षित और संरक्षित रखने हेतु शपथ लिया कि वे न केवल पेड़ पौधे लगायेगे बल्कि उन्हें आने वाले भविष्य के लिए सुरक्षित भी रखेंगे।
छात्रों ने पर्यावरण से संबंधित समस्या पर अपने विचार प्रकट किया कि आज के दौर में बढ़ते प्रदुषण और पेड़ों की कटाई ने पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा पैदा कर दिया ह,ै इसी कारण ग्लोबल वार्मिंग की समस्या भी बढ़ रही है यदि ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब हम पानी या फिर पर्याप्त आॅक्सीजन न मिलने के कारण हमारा अस्त्तिव खतरे में पड जायेगा। लेकिन उस समय हमें बचाने वाला कोई नहीं होगा। तो आइये हम प्रण ले कि हमें अपनी धरती और पर्यावरण की रक्षा स्वयं करेगें।
महाविद्यालय की निदेशक एवं प्राचार्या डॉ. रक्षा सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि छात्रों को समाजिक दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए। हमको पर्यावरण संरक्षण को सामाजिक दायित्व समझते हुए प्रत्येक छात्रों को इसमें सहभागिता दर्ज करनी चाहिए।
महाविद्यालय के अतिरिक्त निदेशक डॉ. जे. दुर्गा प्रसाद राव ने कहा कि जिस प्रकार भूमि का दोहन लगातार किया जा रहा है। उससे पर्यावरण पर प्रतिकुल प्रभाव पड़ रहा है इसके बचाव का एक मात्र उपाय वृक्षारोपण है।
महाविद्यालय के एनसीसी प्रभारी लेफटिनेट डॉ. केजे मंडल एवं प्रो. उज्जवला भोसले ने महाविद्यालय के कैडेटो के साथ कार्यक्रम में सक्रिय सहभागिता दी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *