शालेय स्तर से गुणवत्ता युक्त शिक्षा आज की आवश्यकता

साइंस कालेज दुर्ग में नई शिक्षा नीति 2019 पर परिचर्चा आयोजित

भिलाई। शालेय स्तर से गुणवत्ता युक्त शिक्षा आज की आवश्यकता है। नई शिक्षा नीति 2019 के प्रारूप में शालेय स्तर पर शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के प्रयास एवं स्कूली बस्तों का बोझ कम करने के उपायों का समावेश करना चाहिए। ये तथ्य आज शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग में आईक्यूएसी द्वारा प्रारूप नई शिक्षा नीति 2019 पर आयोजित परिचर्चा के दौरान सामने आया।भिलाई। शालेय स्तर से गुणवत्ता युक्त शिक्षा आज की आवश्यकता है। नई शिक्षा नीति 2019 के प्रारूप में शालेय स्तर पर शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के प्रयास एवं स्कूली बस्तों का बोझ कम करने के उपायों का समावेश करना चाहिए। ये तथ्य आज शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग में आईक्यूएसी द्वारा प्रारूप नई शिक्षा नीति 2019 पर आयोजित परिचर्चा के दौरान सामने आया। परिचर्चा की शुरूवात करते हुए आईक्यूएसी के सदस्य प्रोफेसर प्रशांत श्रीवास्तव ने पावर प्वाइंट प्रस्तुतिकरण के माध्यम से नई शिक्षा नीति 2019 के विभिन्न बिंदुओं पर गहराई से प्रकाश डाला। डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि नयी शिक्षा नीति पूर्ण रूप से विद्यार्थी तथा भारतीय परिवेश पर केन्द्रित है। प्रसिध्द शिक्षाविद् श्री कस्तूरी रंगन की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा प्रस्तावित नयी शिक्षा नीति के प्रमुख बिंदुओं राष्ट्रीय रिसर्च फाउंडेशन का गठन, राष्ट्रीय शिक्षा आयोग की स्थापना तथा महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालयों का शोध एवं शिक्षण के आधार पर वर्गीकरण जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्राध्यापकों ने गहन विचार-विमर्श किया।
उपस्थित प्राध्यापकों ने इस बात पर भी विचार मंथन किया कि प्राध्यापकों को शैक्षणिक अहर्ता में वृध्दि हेतु मिलने वाले सभी आर्थिक लाभ तथा समय पर पदोन्नति प्राप्त हो, जिससे वे पूर्ण एकाग्रता से अपने दायित्वों का निवर्हन कर सकें।
महाविद्यालय के वाणिज्य विभाग के प्रमुख डॉ. ओ.पी. गुप्ता ने स्वशासी महाविद्यालयों को पूर्ण रूप से अकादमिक एवं प्रशासनिक स्वायतता प्रदान किए जाने तथा प्राप्त अनुदान राशि को नियमानुसार खर्च किए जाने हेतु शीघ्र अनुमति प्रदान करने पर बल दिया। डॉ. गुप्ता ने कहा कि समस्त औपचारिकतायें पूर्ण होने के बावजूद लंबी क्रय प्रक्रिया के कारण महाविद्यालय समय पर उन्हें प्राप्त राशि का उपयोग नही कर पाते।
आईक्यूएसी के संयोजक डॉ. जगजीत कौर सलूजा ने उपस्थित सदस्यों का स्वागत करते हुए बताया कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा दो योजनाऐं परामर्श तथा दीक्षारंभ की शुरूवात महाविद्यालयों में की जा रही है। इसके अंतर्गत सभी पंजीकृत विद्याथिर्यों को महाविद्यालय में उपलब्ध संसाधनों से अवगत कराना अनिवार्य है। परामर्श योजना के अंतर्गत शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने हेतु चिन्हित शैक्षणिक संस्थाओं को अनुदान प्रदान किया जायेगा।
आईक्यूएसी की सदस्य डॉ. पद्मावती ने अपने संबोधन में स्नातकोत्तर स्तर के विद्यार्थियों को अधिक से अधिक संख्या में प्रतियोगी परीक्षाओं में चयन हेतु तैयार करने के लिए प्रत्येक सप्ताह में एक दिन अंर्तविषयक जानकारी प्रदान किए जाने का सुझाव दिया। राजनीति शास्त्र के प्राध्यापक डॉ. शकील हुसैन ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हायर सेकेण्डरी स्तर पर अनेक बोर्ड के स्थान पर समूचे देष में एक ही बोर्ड द्वारा परीक्षाओं एवं अन्य आवष्यक कार्यों का संचालन किया जाना चाहिए। इससे विद्याथिर्यों की दक्षता का एक समान परीक्षण किया जा सकेगा। एक अन्य सुझाव में डॉ. शकील हुसैन ने भारतीय षिक्षा सेवा की स्थापना एवं षिक्षकों तथा विद्याथिर्यों के लिए आवष्यक संसाधनों की विद्यालय अथवा महाविद्यालयों में उपलब्धतता की आवष्यकता प्रतिपादित की। डॉ. शकील ने शासकीय एवं निजी औद्योगिक प्रतिष्ठानों द्वारा सीएसआर मद से खर्च की जाने वाली राशि का अधिकतम हिस्सा शालेय शिक्षा हेतु प्रदान किए जाने का भी सुझाव दिया।
यूजीसी सेल की संयोजक डॉ. अनुपमा अस्थाना ने शालेय स्तर पर विद्याथिर्यों की शैक्षणिक अभिरूचि बढ़ाने तथा विद्याथिर्यों को कक्षाओं में उपस्थिति हेतु विषय के प्रति रूचि जागृत करने का सुझाव दिया। क्रीडाअधिकारी डॉ. अब्दुल महमूद ने षिक्षा को केन्द्रीय बजट में प्रमुखता से स्थान प्रदान करने तथा षिक्षा संबंधी नियमों को तैयार करने वाली उच्च स्तरीय समितियों में शैक्षणिक जगत के प्रतिनिधियों को अधिक से अधिक स्थान दिए जाने पर बल दिया। परिचर्चा के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अनुपमा अस्थाना ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय आईक्यूएसी की सदस्यों सहित महाविद्यालय के प्राध्यापक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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