वैश्विक पर्यावरण कार्यक्रम में आरसीईटी के शोधार्थी भी दे रहे भागीदारी

भिलाई। संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक पर्यावरण कार्यक्रम में संतोष रूंगटा समूह द्वारा संचालित रूंगटा कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (आरसीईटी) के शोधार्थी भी अपनी भागीदारी दे रहे हैं। हाल ही में सम्पन्न हुए संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में वैश्विक पर्यावरण की सुरक्षा में भारत की भागीदारी को सराहा गया है। आरसीईटी के प्रशांत कुमार चौधरी एवं सत्य प्रकाश माखीजा को इसी विषय में सीएसवीटीयू ने पीएचडी प्रदान की है।भिलाई। संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक पर्यावरण कार्यक्रम में संतोष रूंगटा समूह द्वारा संचालित रूंगटा कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (आरसीईटी) के शोधार्थी भी अपनी भागीदारी दे रहे हैं। हाल ही में सम्पन्न हुए संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में वैश्विक पर्यावरण की सुरक्षा में भारत की भागीदारी को सराहा गया है। आरसीईटी के प्रशांत कुमार चौधरी एवं सत्य प्रकाश माखीजा को इसी विषय में सीएसवीटीयू ने पीएचडी प्रदान की है।उल्लेखनीय है कि इस शोध केंद्र के विद्युत इंजीनियरिंग विभाग के अंतर्गत रिसर्च स्कॉलर प्रशांत कुमार चौधरी को ‘इफिशिएंसी ऑप्टिमाइजेशन इन वेरिएबल फ्रीक्वेंसी इंडक्शन मोटर ड्राइव’ विषय पर छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर आफ फिलासफी की उपाधि प्रदान की गई है। उन्होंने अपना शोध कार्य डॉ. सत्य प्रकाश दुबे डीन (अनुसंधान एवं विकास) के निर्देशन में पूर्ण किया।
आधुनिक औद्योगिक जगत में ऊर्जा की निरंतर आवश्यकता की आपूर्ति हेतु हमारे परंपरागत स्रोतों का तेजी से दोहन हो रहा है, ऐसी स्थिति में विद्युत मशीनों की दक्षता बढ़ाकर ऊर्जा खपत में कमी लाना समाज के लिए एक सार्थक प्रयास है। इंडस्ट्रीज में लगने वाले पंखे पंप कंप्रेसर आदि लोड के लिए नई कंट्रोल तकनीक से ऑप्टिमल फ्लक्स का निर्धारण कर मोटर की दक्षता बढ़ाई जाना प्रमाणित किया गया। उनकी इस शोध को ऊर्जा खपत में हुई बचत को कार्बन फुटप्रिंट के संदर्भ में औद्योगिक जगत के लिए लाभदायक प्रयास कहा जा सकता है ।
उल्लेखनीय है कि पूर्व में डॉ. एसपी दुबे के मार्गदर्शन में एक और रिसर्च स्कॉलर सत्य प्रकाश मखीजा ने मॉडलिंग, एनालिसिस एंड ऑप्टिमाइजेशन आफ हाइब्रिड रिन्यूएबल एनर्जी सिस्टम विषय पर छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। इन शोध कर्ताओं के रिसर्च पेपर कार्बन उत्सर्जन जैसे विषयों से जुड़े हैं और विश्व के अग्रणी शोध जर्नल में प्रकाशित हुए हैं।

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