आतंकवादियों से निपटने आरसीईटी के रिसर्च स्कॉलर निभा रहे हैं महत्वपूर्ण भूमिका

भिलाई। सार्वजनिक स्थानों जैसे हवाई अड्डे, मंदिरों, गुरुद्वारों, मस्जिदों, चर्च आदि में होने वाली हुए आतंकवादी घटनाओं में घटनास्थल पर मौजूद फुटप्रिंट से आतंकवादियों की पहचान की जा सकती है। रूंगटा कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (आरसीईटी) के कम्प्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के शोधार्थी कपिल कुमार नागवंशी को फजी लॉजिक बेस्ड एनहांस्ड मैचिंग टेक्निक फॉर फुटप्रिंट आइडेंटिफिकेशन विषय पर सीएसवीटीयू द्वारा पीएचडी प्रदान की गई है।भिलाई। सार्वजनिक स्थानों जैसे हवाई अड्डे, मंदिरों, गुरुद्वारों, मस्जिदों, चर्च आदि में होने वाली हुए आतंकवादी घटनाओं में घटनास्थल पर मौजूद फुटप्रिंट से आतंकवादियों की पहचान की जा सकती है। रूंगटा कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (आरसीईटी) के कम्प्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के शोधार्थी कपिल कुमार नागवंशी को फजी लॉजिक बेस्ड एनहांस्ड मैचिंग टेक्निक फॉर फुटप्रिंट आइडेंटिफिकेशन विषय पर सीएसवीटीयू द्वारा पीएचडी प्रदान की गई है।कपिल ने अपना शोधकार्य डॉ सीपी दुबे के मार्गदर्शन में पूर्ण किया। डॉ सीपी दुबे के मार्गदर्शन में पिछले वर्ष इसी शोध केंद्र से दीप्ति वर्मा को सुरक्षा से जुड़े ऐसे ही क्षेत्र ‘बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन सिस्टम फॉर एन्हांस्ड सिक्योरिटी’ विषय पर तकनीकी विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ़ फिलॉसफी की उपाधि प्रदान की जा चुकी है।
फजी लॉजिक आधारित फुटप्रिंट स्कैनर एक मितव्ययी तकनीक है जो लगभग 3000 से 15000 रुपए के मामूली खर्च पर हवाई अड्डों, नैनो-प्रयोगशालाओं, सिलिकॉन उद्योगों, मंदिरों और सार्वजनिक क्षेत्रों या जहां जहां आतंकवादी हमलों का खतरा होता है, लगाया जा सकता है।
यह तकनीक दिव्यांगों जिनके दोनों हाथ नहीं है के आधार कार्ड को फुटप्रिंट के रूप में एक और मोडेलिटी देती है। इस तारतम्य में उन्होंने साइबर फॉरेंसिक जैसे मुद्दों से जुड़े रिसर्च पेपर प्रकाशित किये हैं। दरअसल इंसानों के फुटप्रिंट बायोमेट्रिक पहचान के क्षेत्र में नई तकनीक है जो फिंगरप्रिंट की ही तरह व्यक्ति को एक बायोमेट्रिक पहचान देता है। भारत में यह तकनीक बिना हाथ और आंखों वाले 3446 व्यक्तियों के लिए आधार कार्ड में एक महत्वपूर्ण विकल्प साबित हो सकता है।

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