VC asks professors to empathize with students

जहां जाकर आप प्रयास छोड़ते हैं, सफलता उससे कुछ ही दूर होती है : कुलपति डॉ पल्टा

स्वरूपानंद महाविद्यालय में कृति विद्यार्थियों का सम्मान एवं पारितोषिक वितरण

भिलाई। हेमचंद विश्वविद्यालय दुर्ग की कुलपति डॉ अरुणा पल्टा ने आज विद्यार्थियों से निरंतर प्रयास करते रहने को कहा। उन्होंने कहा कि जहां जाकर हम प्रयास करना बंद कर देते हैं, सफलता उससे बस कुछ ही दूर होती है। अकसर हम प्रयासों को जहां छोड़ते हैं वहां से उसे कोई और आगे ले जाता है और सफलता का सेहरा उसके सिर बंध जाता है। डॉ पल्टा यहां स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में कृति विद्यार्थियों के सम्मान समारोह को संबोधित कर रही थीं।SSSSMV-Felicitation-04 SSSSMV-Felicitation-02 मुख्य अतिथि की आसंदी से समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हेमचंद विश्वविद्यालय एक चुनौती की तरह लिया है। यहां वे जो कुछ भी कर पा रही हैं, उसे सराहना मिल रही है। यहां काम करने की अनंत संभावनाएं हैं। यहां के विद्यार्थियों में जबरदस्त प्रतिभा है। यहां की खेल प्रतिभाओं ने राष्ट्रीय स्तर पर जिला एवं विश्वविद्यालय का नाम रौशन किया है। इस विश्वविद्यालय में एक माह के कार्यकाल के दौरान उन्हें इतना आनंद आया है जो 35 वर्षों के अध्यापन काल में नहीं आया। उन्हें पूरा यकीन है कि यह मध्यांचल का श्रेष्ठ विश्वविद्यालय बन सकता है।

भिलाई। हेमचंद विश्वविद्यालय दुर्ग की कुलपति डॉ अरुणा पल्टा ने आज विद्यार्थियों से निरंतर प्रयास करते रहने को कहा। उन्होंने कहा कि जहां जाकर हम प्रयास करना बंद कर देते हैं, सफलता उससे बस कुछ ही दूर होती है। अकसर हम प्रयासों को जहां छोड़ते हैं वहां से उसे कोई और आगे ले जाता है और सफलता का सेहरा उसके सिर बंध जाता है। डॉ पल्टा यहां स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में कृति विद्यार्थियों के सम्मान समारोह को संबोधित कर रही थीं।परीक्षा सुधारों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सप्लीमेंटरी परीक्षाएं अक्टूबर में ही सम्पन्न कराकर ऐसा करने वाला राज्य का दूसरा विश्वविद्यालय बन गया है। अब परीक्षायें नियमित समय पर होगी। नवंबर में सेमेस्टर का फार्म भरवाया जायेगा व दिसम्बर के प्रथम सप्ताह में ही परीक्षा प्रारंभ हो जायेगी।
उन्होंने खेलकूद तथा राष्ट्रीय सेवा योजना के क्रियान्वयन में स्वरूपानंद महाविद्यालय की भूमिका की सराहना की। उन्होंने छात्र समुदाय का आह्वान करते हुए कहा कि वे हैं तो महाविद्यालय हैं और महाविद्यालय हैं तो विश्वविद्यालय है। सबकुछ छात्रों पर टिका है। इसलिए वे अपने महाविद्यालयीन जीवन का भरपूर उपयोग करें। यदि अभी तीन वर्ष मेहनत कर ली तो आगे का जीवन आसान होगा। अभी लापरवाही बरती तो आगे पूरा जीवन संघर्षमय हो जाएगा। इसलिए अवसरों और चुनौतियों को स्वीकार करें तथा प्रयास करते रहें।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में श्रीगंगाजलि शिक्षण समिति के चेयरमैन आईपी मिश्रा ने कहा भारत की प्रतिभा का मुकाबला चीन और अमेरिका तक नहीं कर सकते। नीदरलैंड का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि उस छोटे से देश का पूरा कामकाज भारतीयों ने संभाल रखा है। छात्र समुदाय का हौसला बढ़ाते हुए उन्होेंने कहा कि अतिथि डायस पर हैं और छात्र नीचे बैठे हैं। तराजू का भारी पलड़ा ही नीचे होता है। इसलिए विद्यार्थियों को स्वयं को वजनदार मानना चाहिए।
महाविद्यालय के सीओओ डॉ दीपक शर्मा ने कृति विद्यार्थियों के सम्मान की परम्परा पर हर्ष व्यक्त करते हुए शेष विद्यार्थियों को भी प्रयास तेज करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि आज का समय केवल विषय में बेहतर करने का नहीं बल्कि सॉफ्ट स्किल्स को निखारने का भी है। अत: विद्यार्थियों को अपने पूरे व्यक्तित्व को निखारने का प्रयत्न करना चाहिए।
श्री शंकराचार्य नर्सिंग महाविद्यालय की सीओओ डॉ मोनीषा शर्मा ने प्रतिभावान विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि उनके खिले चेहरे देखकर प्रसन्नता हो रही है।
डॉ हंसा शुक्ला ने विद्यार्थियों व अभिभावकों को बधाई देते हुए कहा कि विद्यार्थियों में बहुमुखी प्रतिभा होती है। पुरस्कार अभिप्रेरणा का कार्य करता है। वे उम्मीद करती हैं कि भविष्य में भी विद्यार्थी उत्कृष्ट प्रदर्शन करेंगे।
अतिथियों ने महाविद्यालय प्राविण्य सूची में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त विद्याथिर्यों को मैडल व प्रमाण पत्र वितरित किया।
मंच संचालन वाणिज्य की विभागाध्यक्ष डॉ. नीलम गांधी व बॉयोटेक्नोलॉजी की सहा. प्राध्यापक श्वेता दवे ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ एस रजनी मुदलियार, सप्रा टी बबीता, सप्रा शिरीन अनवर, सप्रा राखी अरोरा ने विशेष ओगदान दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *