पालीथीन मुक्त भारत के लिए छात्राओं ने सिये थैले, बनाए दोना पत्तल

भिलाई। डॉ खूबचंद बघेल शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, भिलाई-3 की एनएसएस इकाई के बच्चों ने हानिकारक पालीथीन से मुक्ति पाने के लिए पुराने कपड़ों से थैले बनाए तथा मिट्टी के बर्तन एवं पत्तों का दोना पत्तल बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया। इस अवसर पर एनएसएस अधिकारी एवं गृह विज्ञान की प्राध्यापक डॉ अल्पना देशपांडे ने लोगों को पालीथीन का उपयोग पूरी तरह से बंद करने की अपील की।भिलाई। डॉ खूबचंद बघेल शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, भिलाई-3 की एनएसएस इकाई के बच्चों ने हानिकारक पालीथीन से मुक्ति पाने के लिए पुराने कपड़ों से थैले बनाए तथा मिट्टी के बर्तन एवं पत्तों का दोना पत्तल बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया। इस अवसर पर एनएसएस अधिकारी एवं गृह विज्ञान की प्राध्यापक डॉ अल्पना देशपांडे ने लोगों को पालीथीन का उपयोग पूरी तरह से बंद करने की अपील की।डॉ देशपांडे ने पॉलिथीन को स्वास्थ्य एवं पर्यावरण की दृष्टि से हानिकारक बताते हुए कहा कि पालीथीन पैकेट का दूध भी नुकसानदेह है। केमिकल युक्त पॉलिथीन से बना कैरी बैग, पानी पाउच, पानी बोतल, शराब बोतल, डिस्पोजेबल ग्लास, प्लेट चम्मच जैसी दैनिक उपभोग में आने वाली वस्तुएं भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं जिसके कारण मौसम चक्र तक बदल गया है।
उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजपेड़ के पत्तों से बने दोना पतरी, मिट्टी के बर्तन का उपयोग करते रहे हैं। ये सभी सामग्रियां कभी नुकसानदायक नहीं रही बल्कि गृह उद्योग के रूप में गांव गांव में संचालित होती रही हैं। इससे बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलता रहा है। हमें उसी संस्कृति का पुन: अनुकरण करना चाहिए। इस प्रकार स्वच्छता बनाए रखने स्वस्थ रहने तथा पर्यावरण के शुद्धिकरण के लिए अधिक से अधिक लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए कि हानिकारक पॉलिथीन युक्त वस्तुओं का बहिष्कार कर स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग किया जाना चाहिए स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए कूड़े करकट पॉलिथीन कागज के टुकड़े तथा आसपास नालियों को साफ कर स्वच्छ वातावरण निर्मित करने में आम नागरिकों से सहयोग की अपेक्षा है।

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