उपलब्धियों के लिए जीवन में जरूरी है थोड़ा सा तनाव : डॉ रेशमा

जीडीआरसीएसटी में जीवन जीने की कला पर कार्यशाला का आयोजन

 भिलाई। जीवन में कुछ कर गुजरने के लिए थोड़ा सा तनाव, थोड़ी चुनौतियां और थोड़ी सी मुश्किलें बहुत जरूरी होती हैं। ये हमारे जीवन में उत्प्रेरक का काम करते हैं। इनसे बाहर निकलने के लिए हमें फोकस्ड होकर प्रयास करने पड़ते हैं और हमें असाधारण सफलता की ओर ले जाते हैं। यह कहना है कि पाटणकर कन्या महाविद्यालय दुर्ग की प्रोफेसर डॉ रेशमा लाकेश का। डॉ रेशमा यहां संतोष रूंगटा समूह द्वारा संचालित डीडी रूंगटा कालेज आॅफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में विद्यार्थियों को संबोधित कर रही थीं।भिलाई। जीवन में कुछ कर गुजरने के लिए थोड़ा सा तनाव, थोड़ी चुनौतियां और थोड़ी सी मुश्किलें बहुत जरूरी होती हैं। ये हमारे जीवन में उत्प्रेरक का काम करते हैं। इनसे बाहर निकलने के लिए हमें फोकस्ड होकर प्रयास करने पड़ते हैं और हमें असाधारण सफलता की ओर ले जाते हैं। यह कहना है कि पाटणकर कन्या महाविद्यालय दुर्ग की प्रोफेसर डॉ रेशमा लाकेश का। डॉ रेशमा यहां संतोष रूंगटा समूह द्वारा संचालित जीडी रूंगटा कालेज ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में विद्यार्थियों को संबोधित कर रही थीं।
 भिलाई। जीवन में कुछ कर गुजरने के लिए थोड़ा सा तनाव, थोड़ी चुनौतियां और थोड़ी सी मुश्किलें बहुत जरूरी होती हैं। ये हमारे जीवन में उत्प्रेरक का काम करते हैं। इनसे बाहर निकलने के लिए हमें फोकस्ड होकर प्रयास करने पड़ते हैं और हमें असाधारण सफलता की ओर ले जाते हैं। यह कहना है कि पाटणकर कन्या महाविद्यालय दुर्ग की प्रोफेसर डॉ रेशमा लाकेश का। डॉ रेशमा यहां संतोष रूंगटा समूह द्वारा संचालित डीडी रूंगटा कालेज आॅफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में विद्यार्थियों को संबोधित कर रही थीं।‘चल आ, आज गमों को कहीं छोड़ आते हैं..’ से विद्यार्थियों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हुए वे कहती हैं कि थोड़ा तनाव हमें कुछ अच्छा करने को प्रेरित करता है। नशे से दूर रहकर उस काम को सौ प्रतिशत दें जिसका परिणाम सुखद हो। तभी हम अपनी और अपने माता-पिता की आशाओं को पूरा कर पाएंगे।
यूथ रेडक्रास की मार्गदर्शक प्रोफेसर डॉ. रेशमा ने परिवर्तन को सहने पर जोर देते हुए विद्यार्थियों को मोटिवेट किया कि खुशियां बाहर नहीं, अपने अंदर है। परिवार और समाज के साथ आपके संबंधों की सहजता ही इसका मूल है। यदि आप आसानी से घुलमिल पाते हैं, दूसरों की सराहना कर पाते हैं तो आपको खुशियां भी मिलेंगी।
डॉ. रेशमा ने कहा कि तनाव जीवन के हर पन्ने पर है। एक तरफ बिस्तर छोड़ने से लेकर पढ़ाई, भोजन, होमवर्क तो दूसरी तरफ परिवार-दोस्तों की नाराजगी और पता नहीं क्या-क्या? पर इसमें सवाल ये उठता है कि क्या हम इतने में ही टूट जाएं? अपना कीमती जीवन समाप्त कर दें? जवाब यही कि बिल्कुल नहीं। मानव जीवन मिला है, तो कुछ अच्छा कर नाम रौशन किया जाए।
वर्तमान की बड़ी परेशानी का जिक्र करते हुए डॉ. रेशमा ने कहा कि टेंशन से दूर करना है, तो मोबाइल पर निर्भरता छोड़ दें। दूसरों की नकारात्मक बातों की अनदेखी करें। सामने लगातार अनेक घटनाएं घट रही हैं, फिर भी खाना-पीना, सोना-उठना नहीं छोड़ सकते, तो लक्ष्य को क्यों छोड़ें।
कुछ खट्टी-मिठी बातों से विद्यार्थियों को गुदगुदाते हुए डॉ. रेशमा ने विषयगत पढ़ाई करने व परीक्षा देने के तरीके बताते हुए एनर्जी के साथ टाइम मेनेजमेंट पर जोर दिया। कहा टीचर पढ़ा सकते हैं, पालक राह दिखा सकते हैं, बस बेहतर राह चुनने की जिम्मेदारी आपकी है, जिससे कि आप एक बेहतर इंसान बन सकें।
एचओडी डॉ. सीमा वर्मा ने वक्ता डॉ. रेशमा को स्मृति चिन्ह से सम्मान किया। प्रो. अमित नायडू ने आभार व्यक्त किया। प्रो. प्रिंयका सिन्हा, अरूंधती खंडेलवाल, रचना तिवारी ने सहयोग दिया। संचालन छात्र राहुल साहू व अंकिता भोयर ने किया।

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